भारत की विज्ञान परंपरा के गौरव को अपनी मुखर चेतना के साथ प्रतिष्ठित किया श्री जयंत सहस्रबुद्धे जी ने - कुलपति प्रो पांडेय
विक्रम विश्वविद्यालय परिवार ने श्री जयंत सहस्रबुद्धे जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए
उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा कार्यपरिषद कक्ष में विख्यात समाजसेवी एवं विज्ञान भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री माननीय श्री जयंत सहस्रबुद्धे जी के असामयिक दुखद निधन पर शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें उनके अविस्मरणीय योगदान पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला। सभा की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि माननीय श्री जयंत सहस्रबुद्धे जी ने संपूर्ण विश्व में विज्ञान भारती की गतिविधियों के माध्यम से अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान के लोक व्यापीकरण और हिंदी में विज्ञान लेखन के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। भारत की विज्ञान परंपरा के गौरव को अपनी मुखर चेतना के साथ उन्होंने प्रतिष्ठित किया। श्री सहस्रबुद्धे जी ने शोध एवं नवाचार की दिशा में सदैव ही देश के युवाओं एवं वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया। देशसेवा एवं समाज उत्थान की भावना के साथ सहस्रबुद्धे जी ने अनेक रचनात्मक कार्य किए। वर्तमान में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आपके नेतृत्व में अनेक महत्वपूर्ण विचारों ने भाव आंदोलन का प्रभावी रूप लिया। विक्रम विश्वविद्यालय परिवार सौर समय सारणी पर उनके सक्षम नेतृत्व में संपादित राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभागी रहा। शोक संदेश का वाचन करते हुए कुलसचिव प्रोफ़ेसर प्रशांत पुराणिक ने कहा कि श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने भारतीय विज्ञान परम्परा को विश्व पटल पर स्थापित किया। विक्रम विश्वविद्यालय परिवार दिवंगत आत्मा के प्रति अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है। कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि श्री सहस्रबुद्धे जी ने स्वदेशी विज्ञान के अनेक पहलुओं को व्यापक स्वीकार्यता दिलाई। उन्होंने स्वाधीनता के अमृत वर्ष पर भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में वैज्ञानिकों के योगदान को याद करने का सन्देश दिया।
डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा ने कहा कि जयंत सहस्रबुद्धे का जीवन त्यागमय था। उन्होंने बहुत बड़े क्षेत्र में विज्ञान की सेवा की।
प्रो स्वाति दुबे ने कहा कि श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने देश के अनेक भागों में भ्रमण करते हुए समाज जागरण में योगदान दिया। वे अनेक वर्षों से विज्ञान भारती की गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सक्रिय थे। विक्रम विश्वविद्यालय में सौर कैलेंडर पर केंद्रित संगोष्ठी आयोजन में उनका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ था।
डॉ शेखर दिसावल ने कहा कि श्री जयंत सहस्रबुद्धे भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों के योगदान को लेकर निरंतर कार्य कर रहे थे। उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में वैज्ञानिकों के योगदान का स्मरण दिलाया।
शोक सभा में प्रो संदीप तिवारी, प्रो उमेशकुमार सिंह, प्रो राजेश टेलर, डॉ क्षमाशील मिश्रा, डॉ संग्राम भूषण, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ राज बोरिया, डॉ तृप्ति जायसवाल, प्रा. आनंदप्रताप सिंह, डॉ तरुण मलिक, डॉ दीपा द्विवेदी आदि सहित अनेक शिक्षक एवं शोधकर्ता उपस्थित थे।
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