Skip to main content

फीडिंग कैडर से नहीं बढ़ाया गया वेतन मान, विषय वेतनमान विसंगति का निराकरण करने की मांग बाबत


भोपाल । बड़ी विडंबना है कि जहां एक ओर आयुर्वेद एवं अन्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों को विश्व स्तर पर सराहा जा रहा है, हमारे देश में माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा आयुर्वेद को स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं दूसरी और मध्यप्रदेश के शासकीय आयुष महाविद्यालयों में स्वशासी शिक्षकों के साथ शासन द्वारा घोर उपेक्षा का व्यवहार किया जा रहा है, इनका वेतनमान प्रदेश के अन्य चिकित्सा शिक्षा जैसे पशु चिकित्सा, दंत चिकित्सा आदि महाविद्यालयों के शिक्षकों की तुलना में बहुत कम है। ज्ञात रहे इन पशु एवं दंत आदि चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रोफेसर को पुनरीक्षित वेतनमान एवं अन्य भत्ते वर्ष 2013 से प्रदान किए जा रहे है। जबकि आयुष शिक्षकों का वेतनमान वर्षो से पुनरीक्षित नही किया गया है।

इस विसंगति के कारण पशु एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को प्रथम श्रेणी स्तर पर आयुष शिक्षकों की तुलना में लगभग दोगुना वेतन प्राप्त हो रहा है। वर्ष 2018 में प्रदेश के आयुष महाविद्यालय के केवल प्राचार्य पद का वेतनमान पुनरीक्षित किया गया वो भी आंशिक रूप से ही । जबकि प्रदेश के आयुष महाविद्यालय के शिक्षक संवर्ग का फीडिंग कैडर अस्सिटेंट प्रोफेसर (व्याख्याता) है अतः इसी क्रम अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर सभी कैडर के शिक्षकों को समय बद्ध (टाइम बाउंड पे स्केल) प्रदाय किया जाना चाहिए । 

"अत्यंत विडंबना का विषय है कि देश के अन्य राज्यों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़ जो मध्य प्रदेश की तुलना में छोटे एवं पिछड़े राज्य माने जाते हैं, वहां भी आयुष शिक्षकों का वेतनमान हमारे राज्य की तुलना में कहीं अधिक है। आयुष विभाग के मेडिकल ऑफिसर पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता स्नातक है जबकि शिक्षक संवर्ग के फीडिंग कैडर अर्थात व्याख्याता के पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता स्नातकोत्तर है । इस अंतर के बावजूद दोनों कैडर की पे स्केल समान है और मेडिकल ऑफिसर को व्याख्याता के समकक्ष वेतनमान दिया जा रहा है। अर्थात स्नातक एवं स्नातकोत्तर शैक्षणिक अहर्ता दोनो को समान वेतन दिया जा रहा है। 

आयुष शिक्षकों के साथ विसंगति का एक और उदाहरण यह है कि आयुष चिकित्सक के विशेषज्ञ पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता व्याख्याता के समान अर्थात स्नातकोत्तर होते हुए भी विशेषज्ञ का वेतनमान आयुष शिक्षकों से अधिक है। अर्थात समान शैक्षणिक योग्यता होते हुए दोनो पदों को वेतन अलग-अलग दिया जा रहा है। 

मध्यप्रदेश में शासकीय आयुर्वेद, होम्योपैथ एवं यूनानी कुल 10 महाविद्यालयों में लगभग 250 शिक्षक कार्यरत हैं  यदि आयुष शिक्षकों के वेतनमान का पुनरीक्षण किया जाता है तो इस में शासन पर अनुमानित वित्तीय भार मात्र 2 करोड़ प्रति माह आएगा जो अन्य विभागों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रदेश के आयुष शिक्षक कई वर्षो से वेतन में सशोधन की मांग कर रहे हैं। इस संदर्भ में कई बार शासन को ज्ञापन दिए जाने के बावजूद शासन की ओर से इस विषय पर अभी तक गंभीरता से विचार नही किया गया है तथा कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया है। 

बड़े दुख की बात है कि वर्ष 2022 में दिनांक 28 मई में उज्जैन में हुए अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन में देश के पूर्व राष्ट्रपति कोविंद जी की गरिमामय उपस्थिति में प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री महोदय ने स्वयं प्रदेश के आयुर्वेद महाविद्यालयों के शिक्षकों के वेतन के संशोधन पर विचार कर निराकरण का आश्वासन दिया था, किंतु फिर भी आज तक आयुष शिक्षकों की इस समस्या के समाधान के लिए शासन द्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए। जिससे प्रदेश के शासकीय आयुष महाविद्यालयों के शिक्षकों में गहरा असंतोष व्याप्त है। 

यदि शासन ने शीघ्र ही इस समस्या के निराकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मजबूरीवश अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर मध्यप्रदेश के आयुष शिक्षकों के द्वारा आयुर्वेद टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले आगामी दिनों में अनुशासनबध तरीके से एक प्रदेशव्यापी चरणवद्ध प्रदर्शन किया जाएगा, जिसकी शुरुआत में आयुष शिक्षक काली पट्टी बांधकर अपने कर्तव्य स्थलों पर कार्य कर एक बार फिर लंबे समय से विलंबित वेतन विसंगति की अपनी समस्या से शासन को अवगत कराने का प्रयास करेंगे ।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar