Skip to main content

एक अच्छा लेखक बनने के लिए एक अच्छा श्रोता और एक अच्छा पाठक होना अत्यंत आवश्यक - कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय


उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों को शोध पत्रिकाओं दी एवं उच्चतम वैज्ञानिक शोध पत्र लिखने के गुर सिखाए।

प्रायः देखा गया है कि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय एक शिक्षक के रूप में सदैव विद्यार्थियों से जुड़े रहते हैं। इसी शृंखला में कुलपति जी दिनांक 31 मई 2023 को विक्रम विश्वविद्यालय की प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला पहुंचे। जहां पहुंच कर उन्होंने अपनी पुस्तकें एवं जर्नल विद्यार्थियों को भेट किए। पुस्तकें भेट करते हुए कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि विद्यार्थी एक सफल शोध वह है जो समाज के हर वर्ग को लाभान्वित करे और शोधार्थी का यह दायित्व है कि अपने द्वारा किए गए शोध को प्रकाशित करे। अपनी बात को बढ़ाते हुए हुए कुलपति जी ने कहा कि एक अच्छा शोध पत्र लिखने के लिए यह अनिवार्य है कि विद्यार्थी निरंतर पठन और पाठन के कार्य से जुड़े रहे, शोधकर्ता अच्छा लेखक बनने के लिए अच्छे श्रोता और अच्छे पाठक बनें, तभी वे अच्छा शोधपत्र लिख पाएंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी उनके द्वारा दिए गए जर्नल में दिए गए शोध पत्र पढ़ें और स्वयं भी शोध पत्र लिखें। गौरतलब है कि इस विभाग के बी एससी जैव प्रौद्योगिकी के विद्यार्थियों ने पहले भी शोधपत्र प्रकाशित किए हैं।

इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक और कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कुलपति जी के इस कदम की सराहना की और विभाग के विद्यार्थियों को शोध पत्र प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैव प्रोद्यौगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सलिल सिंह एवं विभाग के समस्त शिक्षकगण और कर्मचारीगण ने माननीय कुलपति जी को धन्यवाद ज्ञापित किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं