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विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के उपलक्ष्य में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं हिंदी कविता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वरिष्ठ कवि डॉ राजीव शर्मा का हुआ सारस्वत सम्मान

सृजनात्मक क्षेत्र में सही दिशा के साथ पूर्ण प्रयास से ही सफलता सम्भव – डॉ राजीव शर्मा

काव्य का सृजन करते हुए युवा समाज, राष्ट्र और प्रकृति से प्राप्त अनुभवों को प्रमुखता दें - कुलपति प्रो पांडेय 

विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के उपलक्ष्य में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं हिंदी कविता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वरिष्ठ कवि डॉ राजीव शर्मा का हुआ सारस्वत सम्मान

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा काव्य सृजन और आस्वाद पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता वरिष्ठ कवि डॉ राजीव शर्मा, इंदौर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ नीलिमा वर्मा, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा एवं गीतकार डॉ मोहन बैरागी ने विचार व्यक्त किए। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि डॉ राजीव शर्मा, इंदौर ने कहा कि किसी भी सृजनात्मक विधा में सही दिशा के साथ पूर्ण प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। काव्य के सृजन के लिए हमारे अंदर प्रतिभा के साथ गहरी संवेदना अपेक्षित है। कोई भी चट्टान एक विशेष ऊंचाई रख सकती है, किंतु उसका भविष्य तय नहीं है। इसलिए हम अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए आगे बढ़ें। यदि हम अपना सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र, समाज और परिवार के लिए अर्पित नहीं करते हैं तो जीवन व्यर्थ हो जाता है। उन्होंने काव्य पाठ करते हुए अपनी कविता और ग़ज़ल के अंश भी प्रस्तुत किए।

कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी कार्य को पूरी प्रतिबद्धता के साथ किया जाना जरूरी है। युवा वर्ग काव्य का सृजन करते हुए समाज, राष्ट्र और प्रकृति  से प्राप्त अनुभवों को प्रमुखता दें। बिना प्रकृति के संपर्क में आए महाकवि कालिदास की कोटि का प्रकृति चित्रण सम्भव नहीं है। वर्तमान में पढ़ने और लिखने की सामर्थ्य कम हो रही है। इसे दूर करने के लिए युवा लेखक और शोधकर्ता निरंतर पठन-लेखन में सक्रिय रहें।   

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि सृजन और अनुसंधान अविराम साधना है। इनमें जिज्ञासा और अनुभव की गहराई जरूरी है। काव्य के प्रमुख तत्त्वों और परंपरा के सम्यक् ज्ञान के साथ गहरी संवेदनशीलता से काव्य का सृजन और आस्वाद सम्भव है। व्यापक जगत् के अनुभवों और विचारों को सर्जनात्मक ढंग से मूर्त्त करता हुआ रचनाकार स्वस्थ मनुष्य, समाज और विश्व के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण संदेश देता है। श्रेष्ठ रचना देश और काल से बद्ध होकर भी उससे मुक्त होती है। बिना करुणा और मानवीयता के श्रेष्ठ काव्य का सृजन सम्भव नहीं है।  

हाल ही में वनस्पति, कवक एवं पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के उपलक्ष्य में कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं हिंदी कविता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वरिष्ठ कवि डॉ राजीव शर्मा को शॉल, मौक्तिक माल और साहित्य भेंट कर उनका  सारस्वत सम्मान किया गया। 

कार्यक्रम में अक्षरवार्ता के सम्पादक डॉ मोहन बैरागी एवं युवा शायर जयहिंद स्वतंत्र ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। 

इस अवसर पर डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा, श्रीमती हीना तिवारी, डॉ श्वेता पंड्या आदि सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ प्रतिष्ठा शर्मा ने किया।

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