विज्ञान आज जहाँ पहुंचने के लिए प्रयासरत है वह ज्ञान हमारे प्राचीन ग्रंथों में समाहित है - डॉ शिवकुमार शर्मा
भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में बिल्डिंग ह्यूमन कैपिटल थ्रू टेक्निकल एजुकेशन फॉर पीएम गतिशक्ति विषय पर २ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आज संपन्न हुई। समापन कर्यक्रम के मुख्या अतिथि अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्याभारती के राष्ट्रीय मंत्री डॉ शिवकुमार शर्मा थे। डॉ शिवकुमार शर्मा का "भारतीय संस्कृति, शिक्षा : आदर्श शिक्षक की अवधारणा" विषय पर व्याख्यान भी आयोजित किया गया।
श्री शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा ने अपने देश में ही नहीं, अपितु विश्व भर में ऐसे उच्चकोटि के आदर्श स्थापित किये, जिससे सम्पूर्ण देश और समाज का नाम उज्जवल हुआ। प्राचीन भारतीय शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय गौरव व संस्कृति की रक्षा करना रहा है। हमें इस संस्कृति को पुनः स्थापित करना है। शिक्षक का स्थान भारतीय संस्कृति मे सर्वोत्तम है। आप दूसरों के लिए जो करते हैं वही यज्ञ है। राष्ट्र की प्राथमिकता शिक्षा का दायित्व है। सभी प्रकार की बातें शिक्षा के माध्यम से आगे आना चाहिए। विज्ञान आज जहाँ पहुँचाने के लिए प्रयासरत है वह ज्ञान हमारे ग्रंथों में समाहित है। गुरु शिष्य का सम्बन्ध विश्वास पर टिका है । गुरु शिष्य दोनों मिलकर कुछ नया सीखते हैं।
निटर भोपाल के डायरेक्टर डॉ सी सी त्रिपाठी ने कहा कि एक अच्छा शिक्षक उसके विद्यार्थियों के लिए रोलमॉडल होता है, अतः शिक्षक को आचरण एवं व्यवहार से विद्यार्थी के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। इस कार्यशाला में देश के आईआईटी, एनआईटी, यूनिवर्सिटी, टेक्निकल इंस्टीटूशन्स, इंडस्ट्रीज, एनजीओ से विषय विशेषज्ञ एवं प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यशाला के संयोजक डॉ व्ही डी पाटिल थे।
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