Skip to main content

खेलों इंडिया में विक्रम विश्वविद्यालय सिरमौर

विक्रम विश्वविद्यालय की बॉयज टीम ने खेलो इंडिया युनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

25 मई 2023 को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की बॉयज मलखंब प्रतियोगिता में विक्रम विश्वविद्यालय की टीम को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से मलखम्ब की बॉयज टीम ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान एवं गोल्ड मेडल अर्जित किया है। इस प्रतियोगिता में पूरे भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों से टीमों ने भाग लिया था, विक्रम विश्वविद्यालय की ओर से 12 खिलाड़ियों का दल रवाना हुआ था। जिसमें विक्रम विश्वविद्यालय की बॉयज टीम ने प्रथन स्थान अर्जित किया। यह विक्रम विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि हैं।

खेलों इंडिया में विक्रम विश्वविद्यालय सिरमौर
विश्वविद्यालय के पुरूष खिलाडियों की टीम ने पहली बार खेलों इंडिया में सोना जीता


उज्जैन। लखनऊ में 24 मई से 3 जून तक चल रहे खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में विक्रम विश्वविद्यालय के पुरूष खिलाडियों ने प्रतियोगिता में भारी उलटफेर करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। द्वितीय स्थान पर सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे तथा तृतीय स्थान पर मुंबई विश्वविद्यालय,मुंबई रहा। यह जानकारी शारीरिक शिक्षा निदेशक डॉ. वीरेंद्र चावरे ने देते हुए बताया कि टीम के राजवीर पंवार, विश्नेश सुगंधी, दीपक गवली, कुंदन कछावा,सचिन गवली एवं हेमंत डोडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खेलों इंडिया में पहली बार 6 गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। वही विक्रम विश्वविद्यालय महिला खिलाड़ियों का दल प्रारंभिक मुकाबले में वरीयता बनाए हुए है।टीम के साथ प्रशिक्षक विक्रम एवं विश्वामित्र अवार्ड से अलंकृत डॉ. आशीष मेहता व विश्वामित्र अवार्ड के लिए नामित मोहनलाल बंबोरिया तथा प्रबंधक के रूप में प्रवेश यादव टीम के साथ सम्मिलित हुए है। इससे पूर्व खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी खेल का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने वर्चुअल माध्यम से किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, उपमुख्यमंत्री सहित बड़ी संख्या में मंत्री,सांसद, विधायक उपस्थित थे। विद्यार्थियो के इस प्रदर्शन पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें एवं उनके परिजनों को भी बधाई दी और कहा कि यह जीत उनकी एवं उनके शिक्षकों की साझा तपस्या की जीत है, यह एक टीम गेम और कोई भी टीम गेम एक दूसरे के साथ ताल-मेल बनाकर ही जीता जा सकता है। यह विक्रम विश्वविद्यालय की टीम ने कर दिखाया हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उनकी जीत पर गौरवान्वित है। कुलपति प्रो पांडेय ने माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, मध्य प्रदेश शासन डॉक्टर मोहन यादव जी का विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा विभाग प्रारम्भ करवाने के लिए और सदैव विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे विश्वविद्यालय परिवार की ओर से अनेक धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर शरारिक शिक्षा एवं खेल विभाग के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र चावरे ने विश्वविद्यालय में खेल विभाग खुलवाने और विद्यार्थियों का सदैव उत्साहवर्धन करने के लिए माननीय उच्च शिक्षामंत्री डॉक्टर मोहन यादव और विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय का आभार माना एवं उनको बधाई दी। उनका सहृदय धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने पदक जीतने वाली अपनी पूरी टीम , प्रशिक्षक और टीम मैनेजर को भी अनेक बधाई दी।
इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने हर्ष व्यक्त करते हुए माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव और कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय को विभाग की स्थापना के लिए बधाई देते हुए हुए खिलाड़ियों, खेल विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रशिक्षकों तथा टीम के मैनेजर को शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

विक्रम विश्वविद्यालय की बॉयज मलखम्ब टीम की इस उपलब्ध पर विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ एस के मिश्रा, एवं विक्रम डाबी तथा विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने विजेता टीम को बधाई दी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

चौऋषिया दिवस (नागपंचमी) पर चौऋषिया समाज विशेष, नाग पंचमी और चौऋषिया दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति और अर्थ: श्रावण मास में आने वा ली नागपंचमी को चौऋषिया दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द "चतुरशीतिः" से हुई हैं जिसका शाब्दिक अर्थ "चौरासी" होता हैं अर्थात चौऋषिया समाज चौरासी गोत्र से मिलकर बना एक जातीय समूह है। वास्तविकता में चौऋषिया, तम्बोली समाज की एक उपजाति हैं। तम्बोली शब्द की उत्पति संस्कृत शब्द "ताम्बुल" से हुई हैं जिसका अर्थ "पान" होता हैं। चौऋषिया समाज के लोगो द्वारा नागदेव को अपना कुलदेव माना जाता हैं तथा चौऋषिया समाज के लोगो को नागवंशी भी कहा जाता हैं। नागपंचमी के दिन चौऋषिया समाज द्वारा ही नागदेव की पूजा करना प्रारम्भ किया गया था तत्पश्चात सम्पूर्ण भारत में नागपंचमी पर नागदेव की पूजा की जाने लगी। नागदेव द्वारा चूहों से नागबेल (जिस पर पान उगता हैं) कि रक्षा की जाती हैं।चूहे नागबेल को खाकर नष्ट करते हैं। इस नागबेल (पान)से ही समाज के लोगो का रोजगार मिलता हैं।पान का व्यवसाय चौरसिया समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय हैं।इस हेतू समाज के लोगो ने अपने