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देवर्षि नारद पौराणिक युग के प्रथम पत्रकार रहे - डॉ. भार्गव

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की 235वीं आभासी संगोष्ठी आयोजित हुई

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा विश्व के प्रथम संदेश वाहक पत्रकार देवर्षि नारद जी के जयंती दिवस के अन्तर्गत राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका शुभारम्भ डॉ. संगीता पाल राष्ट्रीय उपमहासचिव के सरस्वती वंदना प्रस्तुति के साथ हुआ। अतिथि परिचय डॉ. रश्चिम चौबे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने दिया। स्वागत भाषण संगीता केसवानी राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी ने दिया। प्रस्तावना शैली भागवत राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ने दी। 

संगोष्ठी के विशेष वक्ता डॉ. अरूणा शराफ महासचिव मध्यप्रदेश ने कहा कि विचारो में मतभेद होते है विचार एक हो मनभेद नहीं होना चाहिये। बुराई को दबाना एवं अच्छाई को आगे बढ़ाये। विशिष्ट वक्ता शैली भागवत ने कहा कि धर्मरक्षा एवं लोक कल्याण ही नारद जी ने परोपकार किया। दुष्ट कंस एवं रावण को आकाशवाणी सूचना दी । बृहस्पति एवं शंकराचार्य को ज्ञान दिया सत्यम  शिवम  सुन्दरम के ज्ञाता, समाचारो का प्रचार प्रसार करना कार्य किया। 

राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि जो जैसा पढ़ता एवं सोचता  है वैसा ही करता है तथा वैसा ही बन जाता है। सकारात्मक विचारो की जानकारी होना जरूरी है । राक्षसवृत्ति के दानवो(राजा) को शीघ्र पाप बढ़े तथा समाप्त हो। देवताओं को आगे बढ़ाया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. अशोककुमार भार्गव आई ए एस  भोपाल ने कहा कि देवर्षि नारद लोकमंगल के लिये चरैवति प्रवास किये। नारद का अर्थ ज्ञान एवं जल सेवा कार्य किया। प्याऊ का शुभारम्भ हुए । नारद पुराण में 25 हजार श्लोक है। धर्म अर्थ काम मोक्ष की शिक्षा देते। नारायण-नारायण से पुकारते। पत्रकारिता मिशन होना तथा राष्ट्र की आजादी में समाचार पत्रो का महत्वपूर्ण स्थान रहा। कलम की ताकत तोप तलवार से बड़ी होती है। समाज की बुराई से बचाने में गोपनियता के साथ राष्ट्र संगठन मर्यादा पूर्वक समाचार पत्र का योगदान रहता है। नारद जी श्रेष्ठ शिक्षक, संगीतकार, लेखक रहे ।

अध्यक्षीय भाषण राष्ट्रीय मुख्य संयोजक डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने देते हुए बताया कि सच्चा पत्रकार राष्ट्रभक्त , देशप्रेमी, समाज सुधारक होता है। भविष्य दृष्टा होकर बुराईयो से सम्मुख लाना एवं अच्छाईयों का प्रकट करना। सफल पत्रकार निडर एवं सच्चा हो जो सतर्क एवं अच्छा नागरिक हो स्वतंत्र रहे। सत्य को समाज के सामने लाये। पौराणिक युग में देवर्षि नारद सम्प्रेषण का माध्यम माना जाता है। समाचार पत्र अनेक भाषाओं में वर्तमान के साथ भविष्य की सूचना प्रदान करता है।

संगोष्ठी का संचालन श्वेता मिश्र राष्ट्रीय सचिवव ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. बाला साहेब तोरस्कर राष्ट्रीय प्रवक्ता ने माना। आभासी संगोष्ठी के अंत में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संस्थापक मार्गदर्शक समाजसेवी एवं भारतीय ज्ञानपीठ संचालक श्री कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठ जी के निधन पर उपस्थित पदाधिकारियों ने याद किया एवं मौन श्रद्धांजली प्रदान की ।

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