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एनवायर्नमेंटल डे के साथ 5 जून को एनवायर्नमेंटल बायोटेक्नोलॉजी डे भी मनायेगा विक्रम विश्वविद्यालय - कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय

उज्जैन। टेक्नोलॉजी डे के अवसर पर प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय इस वर्ष से प्रति वर्ष 5 जून को एनवायरनमेंट डे के साथ एनवायर्नमेंटल बायोटेक्नोलॉजी डे भी मनायेगा।

टेक्नोलॉजी डे के अवसर पर प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि टेक्निक और टेक्नोलॉजी का प्रचलन भारत में आदि काल से रहा है, इसका उल्लेख हमारे वेदों और पुराणों में भी मिलता है। अपनी बात को बढ़ाते हुए माननीय कुलपति जी ने कहा कि भारत में बायोटेक्नोलॉजी प्राचीन समय से जीवित है, और हमारे ग्रंथों, वेदों और पुराणों में कई ऐसे उदाहरण विदित हैं  जहां बायोटेक्नोलॉजी के उपयोग को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं  इनमें से प्रमुख महाभारत में कौरवों और पांडवों का जन्म, रामायण में सीता जी के अपहरण से पूर्व उनकी कृत्रिम छवि का बनना, कुश का जन्म, वीरभद्र और भद्रकाली का निर्माण, गणेश जी पर हाथी के मस्तक का प्रत्यारोपण आदि प्रमुख हैं उन्होंने यह भी कहा कि भारत में टेक्निक आदिकाल से ही प्रयोग में लाई जा रही है। रामायण काल से ही पुष्पक विमान, लक्ष्मण जी द्वारा लक्ष्मण रेखा का खींचा जाना, महाभारत के युद्ध में आधुनिक अस्त्रों का प्रयोग इस बात को प्रमाणित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय इस वर्ष से एक नई पहल करते हुए एनवायरनमेंट डे के साथ एनवायर्नमेंटल बायोटेक्नोलॉजी डे भी मनायेगा, जिसके माध्यम से विद्यार्थी पर्यावरण के संगक्षण का सदेश देंगे।

कुलपति जी के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने कहा कि यह माननीय कुलपति जी द्वारा एक सकारात्मक पहल है जो विद्यार्थियों को प्रकृति से जोड़ने में सहायक होगी और इससे विद्यार्थी बायोटेक्नोलॉजी की ऐसी टेक्निको के बारे में भी जान पाएंगे जो पर्यावरण को संरक्षित करने में उपयोगी होंगी। इस अवसर पर प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह के साथ विभाग के शिक्षकगण एवं कर्मचारी गण उपस्थित थे!

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