Skip to main content

तीन दिवसीय प्रतिकल्पा उत्कर्ष 2023 का आयोजन 29 मई से 31 मई तक उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के 35 से अधिक विभागों द्वारा दिया जाएगा करियर मार्गदर्शन और 250 से अधिक पाठ्यक्रमों से जुड़ी जानकारी


उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा दि. 29 मई, सोमवार से 31 मई, बुधवार तक प्रातः 11 से सायं 5 बजे तक तीन दिवसीय वृहत् करियर मार्गदर्शन एवं प्रवेश उत्सव प्रतिकल्पा उत्कर्ष – 2023 का आयोजन देवास रोड स्थित स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी - एस ओ ई टी में किया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के मार्गदर्शन में आयोजित इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में विभिन्न विषय क्षेत्रों जैसे- कम्प्यूटर विज्ञान, प्राणि विज्ञान, इंजीनियरिंग, जैव प्रोद्यौगिकी, माईक्रो बॉयोलॉजी, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, कृषि विज्ञान, वानिकी, फार्मेसी, वाणिज्य, कला, भाषा, साहित्य, पत्रकारिता, इतिहास, पुरातत्व, फॉरेंसिक साइंस, फूड टेक्नोलॉजी, समाज विज्ञान, प्रबंधन (एम.बी.ए.), विधि, शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, ग्रंथालय विज्ञान आदि के छात्र - छात्राएँ निःशुल्क पंजीयन कराते हुए भाग ले सकेंगे। यह जानकारी देते हुए कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि इस दौरान आयोजन के माध्यम से युवाओं को सैकड़ों प्रकार के जॉब अवसर के लिए करियर मार्गदर्शन प्राप्त होगा। कार्यक्रम का उद्घाटन 29 मई, सोमवार को प्रातः 11:00 बजे एसओईटी में होगा। कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डीएसडब्ल्यू डॉ एस के मिश्रा एवं समन्वयक प्रो डी डी बेदिया ने बताया कि वर्तमान में विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं और संस्थानों में संचालित 250 से अधिक पाठ्यक्रमों में मेरिट के आधार पर प्रवेश के लिए प्रक्रिया जारी है। इन पाठ्यक्रमों के लिए एमपी ऑनलाइन के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन 26 जून तक जमा किए जा सकेंगे। इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा - सीयूईटी के माध्यम से भी विश्वविद्यालय में संचालित अनेक स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया जारी है। विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय करियर मार्गदर्शन एवं प्रवेश उत्सव के दौरान विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित करियर संभावनाओं के साथ विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं एवं संस्थानों में संचालित 250 से अधिक स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा एवं प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी। पाठ्यक्रमों में प्रवेश से सम्बंधित जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट vikramuniv.ac.in पर भी उपलब्ध है।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

चौऋषिया दिवस (नागपंचमी) पर चौऋषिया समाज विशेष, नाग पंचमी और चौऋषिया दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति और अर्थ: श्रावण मास में आने वा ली नागपंचमी को चौऋषिया दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। चौऋषिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द "चतुरशीतिः" से हुई हैं जिसका शाब्दिक अर्थ "चौरासी" होता हैं अर्थात चौऋषिया समाज चौरासी गोत्र से मिलकर बना एक जातीय समूह है। वास्तविकता में चौऋषिया, तम्बोली समाज की एक उपजाति हैं। तम्बोली शब्द की उत्पति संस्कृत शब्द "ताम्बुल" से हुई हैं जिसका अर्थ "पान" होता हैं। चौऋषिया समाज के लोगो द्वारा नागदेव को अपना कुलदेव माना जाता हैं तथा चौऋषिया समाज के लोगो को नागवंशी भी कहा जाता हैं। नागपंचमी के दिन चौऋषिया समाज द्वारा ही नागदेव की पूजा करना प्रारम्भ किया गया था तत्पश्चात सम्पूर्ण भारत में नागपंचमी पर नागदेव की पूजा की जाने लगी। नागदेव द्वारा चूहों से नागबेल (जिस पर पान उगता हैं) कि रक्षा की जाती हैं।चूहे नागबेल को खाकर नष्ट करते हैं। इस नागबेल (पान)से ही समाज के लोगो का रोजगार मिलता हैं।पान का व्यवसाय चौरसिया समाज के लोगो का मुख्य व्यवसाय हैं।इस हेतू समाज के लोगो ने अपने