विज्ञान में रचनात्मक और सृजनात्मक सोच का मिश्रण आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छा संकेत – कुलपति प्रो पांडेय
समय-समय पर विज्ञान में हो रहे नवाचार को स्वीकार करना जरूरी, भविष्य में शोध एवं अनुसंधान की राह प्रशस्त हो सकेगी - कुलपति प्रो पांडेय
आठवें भारतीय अन्तराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के सफल आयोजन के समीक्षा बैठक का भोपाल में आयोजन किया गया, जिसमें विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने विज्ञान के रचनात्मक एवं सृजनात्मक स्वरुप को बढ़ने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर प्रकाश डाला।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग एवं विज्ञान भारती द्वारा भोपाल में आयोजित आठवीं भारतीय अन्तराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के सफल आयोजन की समीक्षा बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के इस सबसे बड़े आयोजन में माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान एवं माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री भारत सरकार, डॉ जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में भारत सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव एवं अन्य वैज्ञानिक विभूतियों की सहभागिता रही। इस आयोजन में 14 से अधिक गतिविधियों के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों में दस हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान में रचनात्मक और सृजनात्मक सोच का मिश्रण आने वाली पीढ़ी के लिए एक अच्छा संकेत है और समय-समय पर विज्ञान में हो रहे नवाचार को स्वीकार करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यही भविष्य में शोध एवं अनुसधान का आधार बनेगा। इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा, मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ अनिल कोठारी, डॉ सुनील कुमार, कुलपति आरजीपीवी, भोपाल, डॉक्टर संजय तिवारी, कुलपति भोज मुक्त विश्वविद्यालय डॉक्टर सुधीर भदौरिया, महासचिव विज्ञान भारती, श्री संजय कौरव सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे। सकलेचा जी ने अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के आयोजन के महत्व एवं प्रधानमंत्री की संकल्पना के बारे में विस्तार से बताया ।
उन्होंने यह भी बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय भी विज्ञान में शोध एवं अनुसन्धान को बढ़ावा देने के पथ पर अग्रसर है और विज्ञान में शोध एवं अनुसन्धान से भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने में भी सहयोग मिलेगा और विश्वविद्यालय रोजगार सृजनकर्ताओं को जन्म दे पाएंगे, उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा निति के आने के बाद से विक्रम विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों ने विज्ञान से उपजे स्टार्ट- अप एवं उत्पादों के निर्माण पर ध्यान दिया है, जिससे विद्यार्थियों को रोजगार याचक नहीं अपितु रोजगार सृजक बनाया जा सकेगा, उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय निर्माण के घटक होते हैं और विज्ञान में शोध एवं अनुसन्धान को सिंचित करने की उर्वर भूमि भी यही है। अतः विश्वविद्यालयों का ऐसे आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेना शोध एवं अनुसन्धान के लिए एक अच्छा संकेत होगा। माननीय कुलपति जी ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन पर आयोजकों को बधाई देते हुए ऐसे और आयोजनों की उम्मीद जताई जिससे विद्यार्थियों और शोधार्थियों लाभान्वित हों।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि देश की उन्नति में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है, जो तभी संभव है, जब विश्वविद्यालयों में विज्ञान में शोध एवं अनुसन्धान को विशेष महत्त्व दिया जायेगा। अतः विक्रम विश्वविद्यालय में आने वाले समय में ऐसे आयोजनों में अपनी सक्रिय सहभागिता देगा।
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