भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल अपनी स्थापना के ५९ वर्ष मना रहा है। स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर डॉ सदानंद दामोदर सप्रे रिटायर्ड प्रोफेसर मैनिट का भारत में विज्ञान की उज्जवल परम्परा (प्राचीन से आधुनिक काल तक) विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।
डॉ सदानंद दामोदर सप्रे ने इस अवसर पर कहा कि भारत की प्राचीन वैज्ञानिक महान उपलब्धियों को छात्रों को बताने से उनका माइंडसेट चेंज होता है एवं कॉन्फिडेंस बढ़ता है की हमारे देश की साइंस एन्ड टेक्नॉलजी प्राचीन काल से ही उन्नत रही है हम किसी मामले में पश्चिमी देशो से पीछे कभी नहीं थे न ही आज हैं। छात्रों को विषय की सतही जानकारी देने की जगह विषय की गहराई में ले जाना चाहिए तभी ज्ञान प्राप्त होता है। हमें छात्रों के सामने वही जानकारी रखना चाहिए जिसके अकाट्य प्रमाण उपलब्ध हैं। पश्चिमी देशों से पूर्व भारद्वाज संहिता में विमान विद्या की पूरी जानकारी उपलब्ध थी। भारत का स्वाभाव है कि जो उपलब्धि प्राप्त करते हैं विश्व के साथ साँझा भी करते हैं। भारत का विश्वास बांटने में होता हैं। कोरोना काल की भारत निर्मित वैक्सीन को १०० से अधिक देशो को उपलब्ध करबाई। उन्होंने संकाय सदस्यों से कहा कि आपको प्राध्यापक से गुरु की और बढ़ना है। उन्होंने कई रोचक उदाहरणों के द्वारा अपनी बात राखी।
निटर निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने डॉ सदानंद दामोदर सप्रे का सम्मान किया एवं अपने सन्देश में कहा कि निटर प्राचीन विज्ञानं के बारे में जागरूकता के कार्यक्रम एवं गतिविधियां भी आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ ए के जैन थे। इस व्याख्यान में निटर के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारीगण, प्रशिक्षणार्थी थे।
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