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एक महान भारतीय परम्परा के उत्तराधिकारी होने पर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करें - पद्मश्री डॉ कपिल तिवारी

भोपाल एनआईटीटीटीआर भोपाल अपनी स्थापना के ५९ वर्ष मना रहा हे। स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला अकादमी के पूर्व निर्देशक पद्मश्री डॉ कपिल तिवारी का "भारतीय ज्ञान परम्परा संस्क्रति और कला" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। डॉ कपिल तिवारी ने इस अवसर पर कहा की हमने अपने पुरखों की आँखों से भारतीय ज्ञान को देखा हे एवं समझा हे। आज अवस्य्क्ता इस ज्ञान को सहेजने की हे। हमें अपने स्वर्णिम अतीत पर गर्व करना चाहिए। हम सभी एक महान परम्परा के उत्तराधिकारी होने पर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करें। भारतीय लोग आज भी अपनी परंपरा और मूल्यों को बनाए हुए हैं।

डॉ. कपिल तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा सनातन है, और सनातन वो है जो अपने को हर पल नया करता है। भारतीय संस्कृति और परंपरा अपनी एक अलग पहचान और अनूठापन लेकर पुरे विश्व में जानी जाती हैं। भारतीय दृष्टिकोण से ही ज्ञान परंपरा का अध्ययन कर हम एक बार फिर विश्व गुरु बन सकते हैं। निटर निदेशक प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने कहा की हमें भारतीय ज्ञान की परंपरा को आधार बनाकर शिक्षा को छात्रों तक ले जाना चाहिए। हम "सर्वे भबन्तु सुखिनः" पर विस्वास करते हैं किसी अन्य देश के साहित्य में इस तरह की परिकल्पना नहीं की गयी हे। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ ए के जैन थे। इस व्याख्यान में निटर के संकाय सदस्य, अधिकारी, कर्मचारीगण, प्रशिक्षणार्थी थे।

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