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सहजता और क्षमाशीलता उच्चतम व्यक्तित्व के आधारस्तंभ, इन्हें अपनाते हुए सफलता के पथ पर अग्रसर हों विद्यार्थी- कुलपति प्रो पांडेय

सत्ताईसवें दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर कुलपति प्रो पांडेय एवं कुलसचिव डॉ पुराणिक ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के नाम सन्देश दिया

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय का सत्ताईसवां दीक्षांत समारोह गुड़ी पड़वा के पावन पर्व पर दिनांक 22 मार्च 2023 को स्वर्ण जयंती सभागार माधव भवन में सायं 4 बजे से होगा। समारोह में सम्मिलित होने के लिए 208  दीक्षार्थियों ने पंजीयन करवाया है, जिनमें से 124 पीएचडी उपाधि प्राप्तकर्ता एवं 31 स्नातक एवं 53 स्नातकोत्तर स्तर पर गोल्ड मेडल एवं उपाधि प्राप्तकर्ता सम्मिलित हैं।

विक्रम विश्वविद्यालय का सत्ताईसवें दीक्षांत समारोह गुड़ी पड़वा के पावन पर्व पर दिनांक 22 मार्च 2023 को स्वर्ण जयंती सभागार माधव भवन में सायं 4 बजे से होगा। यह नवसंवत् की शुभ बेला में इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को प्रतिवर्ष आयोजित करने की प्रेरणा महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति महोदय द्वारा  हमारे विद्यार्थियों के स्वर्णिम भविष्य को ध्यान में रखते हुए दी थी। इसके कारण विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह हिन्दू नव वर्ष गुड़ी पड़वा के दिन पिछले वर्ष से निरन्तर आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा 124 विद्यार्थियों को पदक एवं 142 उपाधि प्राप्तकर्ताओं को पीएच डी उपाधि प्राप्त होगी। दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय एवं कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें अपने भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारण हेतु प्रेरित करते हुए उनकी इस उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाएँ प्रदान की। विद्यार्थियों के नाम सन्देश देते हुए  कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने करते हुए कहा कि विद्यार्थी इस बात का ध्यान रखे कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं होता बल्कि एक नई शुरुआत होता है जिसके बाद कोई भी विद्यार्थी अपने ज्ञान का इस्तमाल कर समाज को लाभान्वित करने में सक्षम होता है। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि सहजता और क्षमाशीलता उच्चतम व्यक्तित्व के आधार स्तम्भ है, जिन्हें अपनाते हुए सफलता के पथ पर अग्रसर हो विद्यार्थी आपने लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहां कि विक्रम विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली अतीत, प्रगतिशील वर्तमान और उज्जवल भविष्य है। यह विश्वविद्यालय राज्य के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है और इसी कारण इस विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था के साथ-साथ आधुनिक पाठ्यक्रमों की झलक दिखाई पड़ती है। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्तकर्ताओं को एवं उनके माता-पिता को शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उन्होंने कहा कि वह सम्राट विक्रमादित्य के मूल गुणों, परिश्रम, पराक्रम, न्यायप्रियता एवं दार्शनिकता को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ें, आपने व्यक्तित्व में मेहनत, लगन और दृढ़संकल्प को शामिल करे तो एक दिन अवश्य सफल होंगे। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि उज्जैन प्राचीन काल से ही शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है, यहाँ भगवन श्री कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी और तभी से उज्जैन शिक्षा के स्तर को बनाये रहने में सक्षम रहा है। इसी पथ पर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने  विद्यार्थियों को स्वर्णिम पदक और  पीएच डी डिग्री प्राप्त करने पर बधाई दी और उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए मंगलकामनाएँ दीं।

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