Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय के डॉ सक्सेना की उपलब्धि, सफल रिसर्च के बाद इंडियन पेटेंट भी मिला


उज्जैन स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के समन्वयक डॉ विष्णु कुमार सक्सेना को कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विषय में शोध करने के उपरांत हॉस्पिटल एनवायरनमेंट मॉनिटरिंग रोबोटिक डिवाइस का इंडियन पेटेंट करवाने में सफलता प्राप्त की है । इस शोध में उन्होंने अस्पताल के पर्यावरण निगरानी रोबोटिक डिवाइस के एक नए डिजाइन का आविष्कार किया है। अस्पताल पर्यावरण निगरानी रोबोटिक डिवाइस डिजाइन में रोगियों के बारे में डेटा प्राप्त करने के लिए ऑपरेटिंग रूम, आईसीयू और आपातकालीन वार्ड में डॉक्टरों के प्रवेश, निगरानी और सहायता करने का एक तंत्र शामिल है, जिसमें दिखाए गए लक्षण, डॉक्टर की सहायता और उनके द्वारा उठाए गए आवश्यक कदम भी शामिल है। प्रत्येक क्रिया को बारीकी से देखा और दर्ज किया जाता है। यदि रोबोट सिस्टम किसी त्रुटि या किसी आवश्यक कदम के छूट जाने की पहचान करता है, तो यह एक सूचना भेजेगा या पिछली कार्रवाई के विश्लेषण के आधार पर एक अलर्ट जारी करेगा। नए प्रशिक्षु इंटर्न खुद को प्रमाणित करके और विशेष वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ किए गए सभी कार्यों को सीखकर डेटा प्राप्त करने के लिए किसी भी कंप्यूटिंग डिवाइस का उपयोग करके रोबोटिक डिवाइस से जुड़ सकते हैं।
यदि रोगी का कोई भी मामला डॉक्टरों द्वारा सुलझाया नहीं जा सकता है, तो विशेषज्ञ को खोजने के लिए रोबोटिक डिवाइस को ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से जोड़ने और उचित समाधान खोजने के लिए उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों से जोड़ने के लिए स्मार्ट बनाया गया है। यदि इस क्षेत्र में कोई नया शोध हुआ है तो डॉक्टर को इसकी सूचना भी दी जाएगी ।
डॉ सक्सेना ने यह रिसर्च बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मेसरा, झारखण्ड के प्रोफेसर शशांक पुष्कर के साथ मिलकर तैयार किया है।
कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, कार्यपरिषद सदस्य श्री संजय नाहर एवं श्री राजेश सिंह कुशवाह, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, निदेशक प्रोफेसर डी डी बेदिया ने डॉ सक्सेना की इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।

Comments

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर

मालवी भाषा और साहित्य : प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

MALVI BHASHA AUR SAHITYA: PROF. SHAILENDRAKUMAR SHARMA पुस्तक समीक्षा: डॉ श्वेता पंड्या Book Review : Dr. Shweta Pandya  मालवी भाषा एवं साहित्य के इतिहास की नई दिशा  लोक भाषा, लोक साहित्य और संस्कृति का मानव सभ्यता के विकास में अप्रतिम योगदान रहा है। भाषा मानव समुदाय में परस्पर सम्पर्क और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। इसी प्रकार क्षेत्र-विशेष की भाषा एवं बोलियों का अपना महत्त्व होता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विशाल वाङ्मय में मालवा प्रदेश, अपनी मालवी भाषा, साहित्य और संस्कृति के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ की भाषा एवं लोक-संस्कृति ने  अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। मालवी भाषा और साहित्य के विशिष्ट विद्वानों में डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। प्रो. शर्मा हिन्दी आलोचना के आधुनिक परिदृश्य के विशिष्ट समीक्षकों में से एक हैं, जिन्होंने हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं के साथ-साथ मालवी भाषा, लोक एवं शिष्ट साहित्य और संस्कृति की परम्परा को आलोचित - विवेचित करने का महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक प्रयास किया है। उनकी साहित्य

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं द