Skip to main content

विविध शैलियों में विक्रम तीर्थ सरोवर का दृश्य चित्रण किया चालीस से अधिक चित्रकारों ने

विश्वविद्यालय परिसर स्थित विक्रम तीर्थ सरोवर के निर्माण के बाद पहली बार हुआ सरोवर परिवेश का विविध शैलियों में स्थल चित्रांकन रामनवमी पर 30 मार्च को

उज्जैन मित्र भारत संस्था, उज्जैन द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के सहयोग से आयोजित कला शिविर में परिसर स्थित विक्रम तीर्थ सरोवर का चित्रांकन तीन पीढ़ियों के तूलिका कलाकारों द्वारा किया गया। रामनवमी प्रसंग पर सत्यविक्रम सुव्यक्त दिवस तदनुसार 30 मार्च, गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रातः 8.30 से यह रूपांकन प्रारंभ हुआ। मालवा के चालीस से अधिक कलाकारों ने विविध शैलियों में लैण्डस्केप के माध्यम से विक्रम सरोवर का सुंदर चित्रांकन किया।


प्रारम्भ में आयोजन में सम्मिलित कलाकारों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ कलाकार श्री बृज खरे ने कहा कि 2005 में तत्कालीन कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र की संकल्पना से तैयार किए गए विक्रम तीर्थ सरोवर के तट पर इस सामूहिक स्थल चित्रांकन का उद्देश्य जल स्रोतों के साथ पर्यावरण संरक्षण जागरूकता था। चित्रांकन के पश्चात् प्रातः काल 11 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय के मुख्य आतिथ्य, पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र के सारस्वत आतिथ्य, कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेशसिंह कुशवाह एवं कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक के विशिष्ट आतिथ्य में नगर के वरिष्ठ कलाकारों का सम्मान किया गया।


कार्यक्रम में पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र के जन्मदिन पर उन्हें उपस्थित अतिथियों, शिक्षाविदों और कलाकारों द्वारा पुष्पगुच्छ, मौक्तिक एवं पुष्प माल अर्पित कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया। अतिथियों के साथ वरिष्ठ चित्रकार प्रो श्रीकृष्ण जोशी, श्री राधाकिशन वाडिया, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, श्री अक्षय आमेरिया, प्रो जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ सचिन राय आदि ने कलाकारों द्वारा तैयार की गईं चित्रकृतियों का अवलोकन कर उन्हें बधाई दी।

कला शिविर के दौरान कलाकारों ने टेंपरा कलर, पारदर्शी शैली, ओपेक पद्धति, स्केचिंग, चारकोल एवं पेंसिल के जरिए श्वेत श्याम आदि विविध चित्रांकन शैलियों में काम करते हुए सरोवर, परिवेश और पर्यावरण को चित्रित किया। इन कलाकारों में सम्मिलित थे वरिष्ठ चित्रकार डॉ श्रीकृष्ण जोशी, श्री बृज खरे, श्री राधाकिशन वाडिया, अक्षय आमेरिया, एल एन सिंहरोड़िया, बी एल सिंहरोड़िया, जयेश त्रिवेदी, हमीद गौहर, अलका मनीष पाठक, जगदीश नागर, डॉ आर पी शर्मा, मिलिशा दुभाषे आदि।


आयोजन में श्री अशोक वक्त, डॉ सचिन राय, डॉ कनिया मेड़ा, डॉ क्षमाशील मिश्रा, डॉ अजय शर्मा, डॉ चंदर सोनाने, सौरभ भारद्वाज, डॉ मनु गौराहा, डॉक्टर सर्वेश्वर शर्मा, डॉ पांखुरी वक्त, नेहा चौरे आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन और कला रसिक उपस्थित थे। वरिष्ठ शायर श्री हमीद गौहर ने अपनी ग़ज़लों के प्रतिनिधि शेर सुनाए।

विक्रम तीर्थ सरोवर का निर्माण सन 2005 में बिना किसी अनुदान के साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा श्रमदान से तत्कालीन कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र की संकल्पना से किया गया था। इस सरोवर के माध्यम से 96000 क्यूबिक मीटर प्राकृतिक वर्षा जल का संग्रहण होता है। इसके माध्यम से आसपास के पाँच किलोमीटर की परिधि में भूमिगत जल स्तर में निरन्तर वृद्धि होती है। साथ ही परिसर के आवासों एवं छात्रावासों में जल वितरण किया जाता है। रामनवमी पर सरोवर तट पर आयोजित यह अभिनव कार्यक्रम कला मनीषियों की सर्जनात्मकता को रूपायित करने का सार्थक उपक्रम सिद्ध हुआ।


इस आयोजन का उद्देश्य समस्त प्राणियों के जलाधिकार और पर्यावरण का संरक्षण था। शिविर के दौरान बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी राजस्व कॉलोनी स्थित क्लब फनकार कला दीर्घा में दिनांक 4 से 6 अप्रैल 2023 तक संयोजित की जाएगी।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं