कविता ही सामान्य जन को सर्वाधिक प्रभावित करती आ रही है सहस्राब्दियों से – डॉ संजीव कुमार
संवेदना और कल्पनाशीलता के साथ पुराख्यान और इतिहास के पृष्ठों को काव्य का विषय बनाया है कवि ने – प्रो शर्मा
वरिष्ठ कवि एवं संपादक डॉ संजीव कुमार का हुआ सारस्वत सम्मान

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ रचनाकार डॉ संजीव कुमार, नई दिल्ली ने अपनी महत्त्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया। उन्होंने कहा कि वैसे तो साहित्य की सभी विधाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन कविता सबसे समर्थ विधा है। यह सबसे पुरातन विधा है। अनेक सहस्राब्दियों से कविता ही सामान्य जन को सर्वाधिक प्रभावित करती आ रही है।
प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि बहुज्ञता डॉ संजीव कुमार के रचना संसार की विशेषता है। उन्होंने गहरी संवेदना और कल्पनाशीलता के साथ पुराख्यानों, इतिहास और अनुश्रुतियों के अनेक पृष्ठों को काव्य का विषय बनाया है। लगभग एक सौ भाव खण्डों में विभक्त काव्य कोणार्क के माध्यम से उन्होंने एक नई जमीन तोड़ी है। कोणार्क में उन्होंने एक नई शैली में कवि और महाराणा विशु के मध्य संवाद शृंखला की सृष्टि की है। इसके माध्यम से कोणार्क के शिल्पविन्यास और संरचना का विस्तृत शास्त्रीय विवेचन किया गया है। वहीं महाराणा विशु के अन्तर्मन में झाँकने का सार्थक प्रयास भी कवि ने किया है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि, लेखक एवं संपादक डॉ संजीव कुमार का सारस्वत सम्मान उनके विशिष्ट योगदान के लिए किया गया। सम्मानस्वरूप उन्हें कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा एवं उपस्थित जनों ने शॉल, मौक्तिक माल और साहित्य भेंट कर उनका सारस्वत सम्मान किया।
इस अवसर पर प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ सुशील शर्मा, डॉ भेरूलाल मालवीय, शाजापुर आदि सहित अनेक शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
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