Skip to main content

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में सरकार सतत प्रयासरत

अनेकता में एकता भारत की विशेषता - उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव

प्रैक्टिकल एवं नैतिक ज्ञान का होना बहुत जरूरी - सांसद श्री फिरोजिया

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव के मुख्य आतिथ्य में एक दिवसीय नई शिक्षा नीति एवं युवा नीति कार्यशाला का समापन


उज्जैन 14 फरवरी। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में मंगलवार 14 फरवरी को अपराह्न में विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं म.प्र.राज्य युवा नीति’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला के समापन अवसर पर अध्यक्षता सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने की। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में सरकार सतत प्रयासरत है। हमें पाठ्यक्रम पढ़ाने तक ही सीमित न रहें, इसलिये इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित कर सबकी भागीदारी होकर सामूहिक चर्चा कर शिक्षा नीति एवं युवा नीति पर विस्तार से चर्चा होना चाहिये। प्राचीन शिक्षा के केन्द्र बनारस एवं उज्जैन रहे हैं। प्राचीन शिक्षा की चर्चा के दौरान उन्होंने महाभारतकाल के दौरान दी गई शिक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें अपने मूल कर्त्तव्यों पर भी जोर देना होगा। 

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि हमारा देश अनेकता में एकता वाला देश है। हमारा देश शुरू से अच्छे विचारों वाला देश रहा है। नई शिक्षा नीति के साथ-साथ मध्य प्रदेश राज्य युवा नीति पर भी हमें ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है। हमारी संस्कृति अच्छे विचारों को ग्रहण करने वाली रही है। खानपान, कदकाठी के साथ पग पग पर भाषा के बदलाव के साथ हम एक हैं और रहेंगे। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूरे प्रदेश के कॉलेजों में हम नवाचार करते हुए डिजिटल प्रणाली को लागू कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को रट्टू तोता बनने के बजाय नैतिक, अच्छा और सच्चा नागरिक बनायेगी। कार्यशाला में उपस्थित विभिन्न कॉलेजों से आये महाविद्यालयीन छात्रों ने नई शिक्षा नीति-2020 एवं युवा नीति के बारे में प्रश्न पूछे, जिनका उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया और संतोषजनक उत्तर दिये। उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ही युवा नीति लागू करने वाले हैं।

एक दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने कहा कि हमारे देश में सबसे पहले नई शिक्षा नीति-2020 मध्य प्रदेश में लागू की है। यह प्रशंसनीय है। नई शिक्षा नीति में हर बात का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रैक्टिकल ज्ञान के साथ-साथ नैतिक ज्ञान भी होना जरूरी है। नई शिक्षा नीति में हर बात का समावेश किया गया है। हमारे देश के ऋषि-मुनियों ने धर्म के साथ-साथ आध्यात्म को साइंस से जोड़ा देखा गया है। ऋषि-मुनियों ने योग से भी आने वाली पीढ़ी को समझाने की बात कही है। कार्यशाला के समापन पूर्व महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सीजे विजय कुमार मेनन ने भी अपना उद्बोधन दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं युवा नीति पर डॉ.धीरेंद्र शुक्ला ने अपने व्याख्यान के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संकल्पना और क्रियान्वयन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। इस तरह नई शिक्षा नीति के सम्बन्ध में भोपाल से आई डॉ.दीवा मिश्रा ने डिजिटल अवेयरनेस एवं ऑनलाइन कोर्स के सम्बन्ध में उपस्थितों को पॉवर पाइंट के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया गया। डॉ.एसके दुबे भोपाल ने मूल्यांकन एवं आंकलन पर प्रकाश डाला। 

कार्यक्रम में अतिथियों ने प्रयोजनमूलक हिन्दी कार्यालयी प्रयोग, भारतीय संविधान, भारतीय संगीत का इतिहास, अनुप्रयुक्त वनस्पति विज्ञान, जीवनकाल विकास, नई शिक्षा नई उड़ान पुस्तक का विमोचन किया। समापन कार्यक्रम में अतिथियों ने संभाग के प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित किया। उन्होंने अभिजीत देवड़ा, राहुल गुजराती को गणतंत्र दिवस परेड में भागीदारी, नितिन देवड़ा को रक्षा मंत्रालय अवार्ड, कुंदनसिंह कछावा एवं कु.संजना प्रजापति को खेलो इंडिया में मलखंब में पदक प्राप्त करने पर सम्मानित किया। पुस्तक के लेखकों को अतिथियों ने स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका सम्मान किया। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप-दीपन किया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रभारी अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा श्री अर्पण भारद्वाज, कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.शशिप्रभा जैन ने किया और अन्त में आभार विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने प्रकट किया। कार्यक्रम में महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री विजय कुमार सीजी मेनन, कार्यशाला के प्रचार-प्रसार संयोजक डॉ.जफर मेहमूद, संभाग के महाविद्यालयों के प्रोफेसर, प्राचार्य, श्रेष्ठ विद्यार्थी और महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष आदि उपस्थित थे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...