विक्रम विश्वविद्यालय में आईपीआर अवेरनेस प्रोग्राम के अंतर्गत हुआ विशेष व्याख्यान
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग एण्ड टेक्नोलाजी एवं राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) द्वारा संयुक्त रूप से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स - आईपीआर अवेरनेस प्रोग्राम के अंतर्गत विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन का लक्ष्य आईपीआर के मुख्य उद्देश्य और आवश्यकता के बारे में शिक्षकों एवं छात्रों को जानकारी देना था। व्याख्यान कार्यक्रम में आईपीआर के एग्जामिनर ऑफिसर श्री हर्ष दुबे, मुंबई विशेषज्ञ वक्ता के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम में कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं एसओईटी के निदेशक डॉ डी डी बेदिया ने भी विचार व्यक्त किए।
विशेषज्ञ वक्ता श्री हर्ष दुबे, मुंबई ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) के बारे में शिक्षकों व स्टूडेंट्स को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी काम को मूल रूप से तैयार करता है, भौतिक माध्यम में संग्रहित करता है तो उस काम का कॉपीराइट उसे मिल जाता है। वर्तमान में बौद्धिक संपदा अधिकार के संबंध में व्यापक जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने कॉपीराइट एवं पेटेंट के अंतर को भी समझाया।
कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि भारत में बौद्धिक संपदा से जुड़े विभिन्न कानूनों एवं प्रावधानों के माध्यम से नई जागरूकता पैदा हुई है। विक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों को पेटेंट प्राप्त करवाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस व्याख्यान से युवा आईपीआर फाइल करने में सरकार की पहल का लाभ उठा सकते हैं।
कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि मानवीय प्रतिभा, रचनात्मकता और कौशल को सहयोग देने में बौद्धिक संपदा अधिकार महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं। ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, पेटेंट औद्योगिक डिजाइन और भौगोलिक संकेतक का संबंध हम सबके जीवन से है। इसलिए इनसे जुड़ी हुई जागरूकता युवा पीढ़ी के लिए आवश्यक है। नए प्रावधानों से वैश्विक स्तर पर साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में लोगों को वैध कानूनी संरक्षण मिल रहा है।
संस्थान के निदेशक डॉ डी. डी. बेदिया ने व्याख्यान इनिशिएटिव की सभी को जानकारी दी। उन्होंने आईपीआर की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
व्याख्यान का आयोजन मोहित प्रजापति, रितेश नागर एवं कंचन थूल द्वारा किया गया। विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संस्थान के सभी शिक्षकगण एवं विद्यार्थी इस व्याख्यान से बड़ी संख्या में जुड़े रहे।
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