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शिव सत्य, ज्ञान और अनंत रूप हैं और उनके मूल भी – प्रो शर्मा

  साहित्य, कला और संस्कृति में शिव तत्व पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न 

छत्रपति शिवाजी महाराज समारोह पर अन्तरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी हुई

साहित्य एवं संस्कृतिकर्म के लिए सक्रिय प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा साहित्य, कला और संस्कृति में शिव तत्व पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाशिवरात्रि पर्व पर किया गया। साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज का जयंती के अवसर पर अन्तरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसका विषय महाराष्ट्र के परमवीर शिवाजी का राष्ट्रीय और सांस्कृतिक  योगदान था। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के अध्यक्ष, कला संकाय एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता शिक्षाविद श्री ब्रजकिशोर शर्मा अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन ने की। विशेष अतिथि श्रीमती शैली भागवत इन्दौर, मनीषा पाटील, श्रीमती वंदना गुप्ता, डॉ नीना शर्मा, नाथद्वारा एवं कृष्णा श्रीवास्तव थीं। 

संगोष्ठी मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कला संकायाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा उज्जैन ने कहा कि देवाधिदेव महादेव का लोक और शास्त्रीय परंपरा एवं संस्कृति पर गहरा प्रभाव दिखाई देता है। वैदिक, पौराणिक साहित्य से लेकर लोक एवं जनजातीय समुदाय की सरस शब्द एवं कला अभिव्यक्तियाँ उन पर केंद्रित हैं। शिव चरित में कला, दर्शन और संस्कृति की कई धाराओं का उत्स दिखाई देता है। समस्त दृश्य शिव ही है अर्थात् यह दृश्य जगत शिव से किसी भी प्रकार अलग नहीं है। शिव ही सत्य, ज्ञान और अनंत रूप हैं और उन सब के मूल हैं। शिव पर केंद्रित पौराणिक आख्यानों में ज्ञान - विज्ञान, सभ्यता, पर्यावरण, लोक जीवन, आस्था - विश्वास का समवेत रूप जीवंत हुआ है। 

अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद एवं राष्ट्रीय शिक्षक संघ चेतना के अध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन ने कहा कि शिव का चरित्र भारतीय संस्कृति का पर्याय है। महाशिवरात्रि पर्व का  आध्यात्मिक महत्त्व है। इसके साथ ही वैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से इस पर्व का विशेष महत्व है। 

कार्यक्रम रूपरेखा एवं स्वागत भाषण देते हुए संस्था के संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव, उज्जैन ने शिवाजी महाराज के योगदान पर प्रकाश डाला। आयोजन की विशिष्ट वक्ता डॉ संगीता पाल एवं रश्मि लता मिश्रा ने भी विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।      

शिव स्तुति डॉ. नीना शर्मा, श्रीनाथद्वारा (राज) ने प्रस्तुत की।

संचालक संस्था के राष्ट्रीय सचिव रश्मि मिश्र, पुणे ने किया। आयोजन में डॉ हरिसिंह पाल, सुवर्णा जाधव, प्रतिमा सिंह, अपराजिता शर्मा, संगीता पाल, प्रगति बैरागी आदि सहित सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित थे। 

 धन्यवाद ज्ञापन शैली भागवत ने किया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. शहनाज शेख थीं।

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