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विक्रम विश्वविद्यालय और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से होगा विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक उद्यान का निर्माण

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन और मध्यप्रदेश शासन वन विभाग के संयुक्त प्रयास से विद्यार्थियों के शैक्षाणिक कार्य के लिए संकटापन्न प्रजातियों का पौधारोपण कर बगीचे का निर्माण किया जाएगा। इसमें विद्यार्थियों को संकटापन्न प्रजातियों का अध्ययन कराया जायेगा। 

विक्रम विश्वविद्यालय और वन विभाग के संयुक्त प्रयास से विद्यार्थियों के शैक्षणिक कार्य के लिए संकटापन्न प्रजातियों का पौधारोपण कर बगीचे का निर्माण किया जाएगा, जहां विद्यार्थियों को संकटापन्न प्रजातियों का अध्ययन कराया जायेगा। इस दिशा में एक सकारात्मक पहल करते हुए वन विभाग और विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयासों से कुछ जटिल और संकटापन्न प्रजातियों को एकत्रित कर उन्हें एक जगह रोपित कर एक बगीचे का निर्माण किया जाएगा। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि विद्यार्थियों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ साथ प्रायोगिक ज्ञान देना शैक्षणिक संस्थानों का प्रमुख दायित्व है। इन प्रजातियों में प्रमुख तौर पर येलो कनफ्लोअर, वेसिवाइन गोल्डन बैरल कैक्टस, स्वीट बे मंगोलिया पोस्सुम हायू, बारबरा बटन आदि शामिल है। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि जैव विविधता संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि अधिक से संकटापन्न प्रजातियों को संरक्षित किया जा सकता है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि विश्वविद्यालय का परिक्षेत्र 350 एकड़ में फैला है, जो पूरी तरह से हरा भरा है। जहां आसानी से ऐसे पौधे जो संकटापन्न है को संरक्षित किया जा सकता है। अतः जैवविविधता संरक्षण की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय गत दो वर्षो में 3000 से अधिक पौधों का रोपण किया है एवं विश्वविद्यालय सदैव इन पौधों के संरक्षण में भी अग्रणी रहा है। कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने शुक्रवार सुबह शैक्षणिक उद्यान बनाए जाने वाले स्थल का निरीक्षण किया। इस अवसर पर कुलपति जी के साथ वन विभाग के रेंजर, कार्यपरिषद सदस्य श्री संजय नाहर और विक्रम विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ डी डी बेदिया, डीएसडब्ल्यू डॉ एस के मिश्रा, डॉ गणपत अहिरवार आदि उपस्थित थे।


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