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विषय क्षेत्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों से संपर्क में रहना विद्यार्थियों के ज्ञान की उन्नति के लिए लाभकारी - कुलपति प्रो पांडेय

विक्रम विश्वविद्यालय में शीघ्र ही लाइफ साइंस एवं फॉरेंसिक साइंस : संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर होगा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय और राज्य फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला, जबलपुर से पधारीं डॉ दीप्ति श्रीवास्तव के बीच लाइफ साइंस और फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में आज के समय में प्रयोग में लाई जाने वाली तकनीक जैसे डी. एन. ए. फिंगर प्रिंटिंग, डी. एन. ए. आइसोलेशन आदि पर चर्चा हुई। इन तकनीकों का सैद्धांतिक और प्रायोगिक उपयोग विद्यार्थियों को सीखने हेतु शीघ्र ही “लाइफ साइंस एवं फॉरेंसिक साइंस संभावनाएं एवं चुनौतियां” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करने का निर्णय भी लिया गया। दिनांक 10 फरवरी 2023 को विश्वविद्यालय में हुई संवाद बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि अपने विषय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों से संपर्क में रहना विद्यार्थियों के ज्ञान की उन्नति के लिए लाभकारी होता है। अतः विश्वविद्यालय सदैव यही प्रयास करता है कि ऐसे लोगों का विद्यार्थियों से अधिक से अधिक संपर्क कराया जाए। कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान एक अनुप्रयुक्त विज्ञान है जिसकी 27 से अधिक उप शाखाएँ हैं। यह विषय अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों / तकनीकों के अनुप्रयोग से संबंधित है। कानून के प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाने वाला कोई भी विज्ञान एक फोरेंसिक विज्ञान है। अधिकांश विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि भारत कई फोरेंसिक क्षेत्रों और अपराध जांच में प्रशिक्षित फोरेंसिक विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की भारी कमी का सामना कर रहा है। फोरेंसिक वैज्ञानिक अपराध स्थल से एकत्र किए गए विभिन्न सुरागों को संभालते हैं और इन सुरागों को सबूतों में बदलने के लिए नवीनतम और उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हैं जो बाद में अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अदालत में पेश किए जाते हैं। जैसे-जैसे संगठित अपराध की दर में वृद्धि हो रही है, फोरेंसिक वैज्ञानिकों का कार्य अधिक कठिन, चुनौतीपूर्ण और साहसिक होता जा रहा है। फॉरेंसिक साइंस युवाओं के लिए एक अत्यधिक लाभकारी करियर विकल्प है। भारत में योग्य फोरेंसिक विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और जांचकर्ताओं की भारी कमी है। फोरेंसिक वैज्ञानिक किसी मामले के अदालत में पहुंचने से पहले निर्णयकर्ताओं की सहायता करके वर्तमान अदालत प्रणाली में प्रवेश करने वाले मामलों की संख्या को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए, नौकरी, निजी काम, खुद की प्रैक्टिस आदि के लिए व्यापक गुंजाइश है। विक्रम विश्वविद्यालय जैसी प्रतिष्ठित संस्था फोरेंसिक विज्ञान में स्नातक एवं स्नातकोत्तर  की डिग्री प्रदान करती है। ये पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के कौशल को सुधारने और ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेंगे।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि इस संगोष्ठी में भाग लेना जीव विज्ञान के अधिकतर संकाय, विशेष तौर पर बायोटेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस के विद्यार्थियों के लिए अत्यधिक उपयोगी होगा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की संगोष्ठियां और ऐसे वैज्ञानिकों का विद्यार्थियों से संवाद विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।

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