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विक्रम विश्वविद्यालय एवं वन विभाग उज्जैन द्वारा सांस्कृतिक वन की स्थापना की जाएगी

उज्जैन। वन विभाग, मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में सांस्कृतिक वन स्थापित करने के लिए पहल की गई है। वन विभाग जिला उज्जैन एवं विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर में श्री महाकाल सांस्कृतिक वन स्थापित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। गुजरात की तर्ज पर इस नवविकसित वन से उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत, इतिहास आदि का संरक्षण होगा तथा अध्ययनरत विद्यार्थियों को जैवविविधता एवं पारिस्थितिक तंत्र के अध्ययन का अवसर प्राप्त होगा।

पेड़- पौधों एवं मानव जाति का सम्बन्ध अत्यंत प्राचीन है। वन प्रकृति द्वारा मानव जीवन को प्रदान किया गया सबसे अमूल्य आशीर्वाद है। वनों से मनुष्य का औषधि, आश्रय, लकड़ी, हवा, पानी, फल, भोजन जैसे महत्वपूर्ण उत्पाद प्राप्त होते हैं। तो वही दूसरी ओर वन संसाधन, जैवविविधता प्रबंधन एवं प्रदूषण को कम करने तथा जीव-जन्तुओं के लिए पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते है। उपरोक्त महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गुजरात में वर्ष 2004 में सांस्कृतिक वन की नींव रखी थी, अभी तक ऐसे 22 सांस्कृतिक वन बनाये जा चुके हैं, जिसमे गुजरात का रक्षा क्षेत्र, सांस्कृतिक वीरता एवं इतिहास का दर्शन समाहित है। वन विभाग, मध्य शासन द्वारा गुजरात की तर्ज पर मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में सांस्कृतिक वन मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में सांस्कृतिक वन स्थापित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कि इस अभिनव पहल के अनुरूप विक्रम विश्वविद्यालय एवं वन विभाग उज्जैन के द्वारा विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिसर में 6-7 हेक्टर क्षेत्र में सांस्कृतिक वन निर्मित किया जायेगा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि वन विभाग का इस महत्वपूर्ण कार्य हेतु विक्रम विश्वविद्यालय सहयोग करेगा। सांस्कृतिक वन द्वारा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को जैव विविधता औषधीय एवं पुष्पीय पौधो के अध्ययन हेतु अवसर प्रदान होंगे। डॉ किरण बिसेन, जिला वन मंडल अधिकारी उज्जैन ने बताया कि इस सांस्कृतिक वन में उज्जैन जिले की सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास एवं विशेषता के साथ-साथ नक्षत्र वाटिका, औषधीय एवं पुष्पीय पौधों के रोपण का विशेष ध्यान दिया जायेगा।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने कहा कि सांस्कृतिक पार्क भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु उपयोगी होने के साथ-साथ जैवविविधता संरक्षण में भी सहायक होंगे। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि पेड़-पौधो के रोपण से धीरे-धीरे पूर्णतः वन पारिस्थितिकी का विकास होता है जिससे अनेक जीव - जन्तुओं को आश्रय प्राप्त होता है। अतः विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जंतुओं की विविधता का अध्ययन करने हेतु यह उपयोगी सिद्ध होगा।


इस अवसर पर कुलपति जी और जिला वन मंडल अधिकारी के साथ प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन एवं डॉ पूर्णिमा त्रिपाठी उपस्थित थे।

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