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राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में पुरातत्व संग्रहालय के नवीन भवन सहित नई विथिकाओं के लिये विधिवत भूमि पूजन सम्पन्न

उज्जैन। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में विक्रम कीर्ति मन्दिर परिसर स्थित पुरातत्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई विथिकाओं के लिये बुधवार 18 जनवरी को दोपहर में विधिवत भूमि पूजन सम्पन्न हुआ। भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव सहित अतिथियों ने पुरातत्व संग्रहालय का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, महापौर श्री मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येन्द्र कुमार शुक्ल, श्री विवेक जोशी, श्री जगदीश अग्रवाल, श्री अनिल जैन कालूहेड़ा, श्री ओम जैन, श्री अशोक प्रजापत, पूर्व विधायक श्री राजेन्द्र भारती, कुलपति श्री अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक, डॉ.रमणसिंह सोलंकी, प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे। 

उज्जैन शहर के विक्रम विश्वविद्यालय में स्थित वर्तमान विक्रम कीर्ति संग्रहालय शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह है, जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियां हैं। इतना ही नहीं संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियां और 30 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों का विशाल पुरातत्व संग्रहालय में संग्रह है। संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण होने से स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जायेगा। प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण तथा 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढांचे का उन्नयन/नवीनीकरण और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिये नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भण्डारण/प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो/डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पाण्डुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएं विकसित करना आदि शामिल होंगे। उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इन्दौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है।

विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय के स्वरूप को बदलने का कार्य किया जायेगा। भवन निर्माण सहित नई विथिकाएं 14 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जायेगी। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में उज्जैन के इतिहास से जुड़े कई तथ्य मौजूद हैं। संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार 14 करोड़ रुपये की लागत से संवारने का कार्य किया जायेगा। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के प्रयास से संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के लिये उक्त राशि स्वीकृत की गई है। स्वीकृत राशि से विक्रम विश्वविद्यालय के विक्रम कीर्ति मन्दिर स्थित पुरातत्व संग्रहालय में रखी पुरातात्विक धरोहर जिसमें पांच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सिंग, दरियाई घोड़े का दांत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेष जिन्हें विभिन्न विथिकाओं में प्रदर्शित किया जायेगा।

इसके अलावा संग्रहालय में भीम बैटका के पुरातात्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव के द्वारा निर्मित प्रस्तर औजारों को भी प्रदर्शित किया जायेगा। उज्जैन के राजा चंडप्रद्योग के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, वह भी संग्रहालय में प्रदर्शित किये जायेंगे। इस तरह उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हजार वर्ष पुरानी पुरातात्विक सामग्री प्रदर्शित की जायेगी। 


इसके अलावा संग्रहालय में दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएं जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की है, इन्हें भी नवनिर्मित विथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को भव्य बनाने की योजना बनाई गई है। प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपये की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जायेगा।

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