भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल में नववर्ष के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम आयोजित की गई। जिसमे निटर भोपाल के निदेशक प्रो सी सी त्रिपाठी ने कहा कि, हम सभी को संस्थान विकास के लिए नव-संकल्प, जीवटता एवं सकारात्मक ऊर्जा के साथ जुटना होगा। इस अवसर पर प्रो त्रिपाठी ने भविष्य की आगामी योजनाओं एवं परियोजनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने निटर के विकास एवं कर्मचारियों के हित में लिए गए निर्णय को बताते हुए प्रभावी आर्गेनाईजेशन एवं कर्मचारियों के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला।
संस्थान में कार्यरत हर व्यक्ति महत्वपूर्ण होता है। हम सभी एक दूसरे के प्रति पारदर्शी एवं जिम्मेवार भी बने। शिक्षकों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूलभावना डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से सभी तक पहुचायें। उन्होंने संस्थान को नवीन संसाधन युक्त प्रयोगशालाएं से जोड़ने पर वल दिया । उन्होंने आव्हान किया कि, आपकी गति से प्रगति दिखना चाहिए। इस अवसर पर सभी अधिष्ठाता, संकाय सदस्य, कर्मचारी एवं अधिकारी उपस्थित थे।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्
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