उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में पिछले दो वर्ष में 5000 से अधिक पौधों का रोपण किया गया है। विक्रम विश्वविद्यालय का हरा -भरा परिसर उच्च ऑक्सीजन घनत्व वाला क्षेत्र रहा है, जहाँ पर प्रातः एवं सायंकालीन भ्रमण के लिए शहर के प्रतिष्ठित नागरिक आते हैं। परिसर के अलग-अलग क्षेत्रों में कई प्रजातियों के महत्वपूर्ण पादप जैव-विविधता का विशाल भंडारा है। अनेक संस्थाएं एवं नागरिकगण इस परिक्षेत्र में पौधरोपण करते हैं। सामान्यतः देखा जाये तो पौधरोपण एक सरल प्रक्रिया है, जिससे हर नागरिक करना चाहता है, परन्तु रोपित किये गए पौधों का दीर्घकालीन संरक्षण एक जटिल प्रक्रिया है।
प्रातःकालीन भ्रमण के दौरान निकले विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विक्रम सरोवर के आस-पास कुछ पौधों को सूखते हुए देखा तथा प्रतिदिन अपने साथ पानी की बोतल लेकर उन पौधों के सरक्षण के लिए उन पौधों को जल अर्पित करते हुए देखे गए। कुलपति जी के इस सक्रिय प्रयास को देख कर विक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ डी. डी. बेदिया, डॉ सलिल सिंह, डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ गणपत अहिरवार, डॉ संग्राम भूषण आदि ने भी सरोवर स्थित पौधों को जल अर्पित करते हुए उन्हें जीवित रखने का प्रयास किया। इस अवसर पर कुलपति जी के साथ प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थी सौरभ पाण्डेय, सूरज सोलंकी, समीर कुमार आदि उपस्थित थे एवं उन्होंने भी पौधों को जीवित रखने का संकल्प लिया। प्रातःकालीन भ्रमण के दौरान आम नागरिकों से चर्चा करते हुए कुलपति जी ने अपील की कि परिसर स्थित पौधों के संरक्षण के लिए प्रत्येक नागरिक कम से कम एक बोतल पानी अपने साथ ले कर प्रतिदिन पौधों पर अर्पित करे।
प्रातःकालीन भ्रमण के दौरान आम नागरिकों से चर्चा करते हुए कुलपति जी ने अपील की कि परिसर स्थित पौधों के संरक्षण के लिए प्रत्येक नागरिक कम से कम एक बोतल पानी अपने साथ ले कर प्रतिदिन पौधों पर अर्पित करे। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कुलपति जी के इस पहल के लिए उन्हें बधाई दी।
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