उज्जैन । संस्कृत, ज्योतिर्विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा विशिष्ट वैदिक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष, डॉ. डी.डी. बेदिया ने की व अथितियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया तथा अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि, वैदिक विज्ञान का प्रसार प्रत्येक जनमानस तक होना चाहिये और सभी इससे लाभान्वित हो तथा इस प्रकार की व्याख्यानमाला का निरतंर आयोजन किया जावेगा जिससे की समस्त वैदिक विद्यार्थियों को लाभ प्राप्त हो सकें।

मुख्य वक्ता डॉ. विजय रावल ने कहा कि, वेदो की वैज्ञानिक पद्धिति द्वारा रोगों का निदान हो सकता है। वैदिक मंत्रो के उच्चारण ध्वनियों के माध्यम से मनुष्य के समस्त संस्कारों के द्वारा मानवमात्र को प्रबुद्ध किया जाना चाहिए। इस अवसर पर अध्ययनशाला के पूर्व विभागाध्यक्ष आचार्य डॉ. राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर ने ज्योतिष तथ संस्कृत के उच्चारण संबंधि आध्यात्मिक पक्ष को उद्घाटित किया। व्याख्यान सत्र में उपस्थित भोज विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेश पाठक तथा वैदिक स्कालर एवं इंजीनियर श्री राजेश आचार्य ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोपालकृष्ण शुक्ल ने किया और आभार डॉ. सर्वेश्वर शर्मा ने माना। इस अवसर पर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्ययक्ष डॉ. कनिया मेड़ा, डॉ.विष्णुप्रसाद मीना, डॉ. महेन्द्र पण्डया एवं डॉ. रश्मि मिश्रा तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
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