उज्जैन । स्कूल एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों में उद्यमिता विकास की भावनाओं का सृजन एवं नई शिक्षा नीति के अनुरूप लर्न बाई अर्न के दृष्टिगत विजय फाउंडेशन फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा दिनांक 25 और 26 दिसंबर 2022 को प्रातः 10 से रात 9 बजे तक भसीन काम्प्लेक्स, माधव क्लब रोड पर विंटर क्रिसमस कार्निवाल का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख़्य उद्देश्य विद्यार्थियों को उद्यमिता विकास से परिचित करते हुए लर्न बाई अर्न कार्यक्रम के तहत आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को पूर्ण करने के लिए अग्रसर करना है।
संस्था की अध्यक्ष श्रीमती विजय भसीन ने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों एवं महिलाओं द्वारा अलग-अलग फ़ूड, गेम्स आदि के स्टाल्स लगाए जाएँगे। दिनांक 25 दिसंबर को बच्चों के लिए डांस एवं फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। विजेताओं को विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। संस्था की सचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ शिवि भसीन एवं डॉ अरविन्द शुक्ल ने बताया कि स्टाल लेने के लिए इच्छुक लोग संस्था के सेक्रेटरी डॉ शिवि भसीन से संपर्क करें।आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन
आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ | Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में हुआ। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी - आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं। उनके उपन्यास और कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं। उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है। मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्ट पहलू उजागर
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