Skip to main content

जैव-प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और भविष्य की अपार सम्भावनाएँ हैं पुष्पीय पौधों के विकास में - कुलपति प्रो पांडेय

 कुलपति प्रो पांडेय ने प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के छात्रों को एलिलोएलोपैथी के बारे में समझाया 

उज्जैन। प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के विद्यार्थियों द्वारा ग्रीन ग्रेजुएट कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किये जा रहे उद्यान का औचक निरीक्षण करने पहुंचे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए उन्हें पादप जैव-प्रौद्योगिकी एवं उसका औद्योगिक इकाइयों में महत्त्व की जानकारी प्रदान की। 

विद्यार्थियों द्वारा किये जा रहे कार्य की सराहना करते हुए कुलपति ने कहा कि पुष्पीय पौधों के विकास में जैव-प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग एवं भविष्य की अपार सम्भावनाएँ हैं। 

कुलपति जी ने इस दौरान विद्यार्थियों को  एलिलोएलोपैथी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एलिलोएलोपैथी एक जैविक घटना है। एलिलोएलोपैथी एक पौधा दूसरे के विकास को रोकता है। एलिलोएलोपैथी का उपयोग पौधो के द्वारा प्रकृति में जीवित रहने के साधन के रूप में किया जाता है, जिससे आस-पास के पौधों से प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है। इस क्रिया के अंतर्गत पौधे आपने आस-पास के प्रतिस्पर्धी पौधों को नष्ट करने के लिए एलिलोकेमिकल्स छोड़ते हैं। इस प्रकार एलिलोएलोपैथी खरपतवार नियंत्रण, फसल सुरक्षा या फसल पुन:स्थापना के क्षेत्र में उपयोगी है। कुलपति जी के लगभग एक घंटे के व्याख्यान में विद्यार्थियों को पुष्पीय पौधों को विकसित करने उन पर जैव प्रौद्योगिकी से सम्बन्ध हेतु विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों आदि की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई। 

कुलपति जी की विद्यार्थियों के साथ इस वार्तालाप पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने कहा कि कुलपति जी की विद्यार्थियों के साथ ऐसी चर्चा सदैव छात्र हित में होती है और लाभदायक होती है। 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में  इस वर्ष विभाग के संस्थापक प्रोफेसर हरस्वरूप जी की सौवीं वर्षगाठ बनाई जा रही है एवं ग्रीन ग्रेजुएट के तहत हो रहा। सौन्दर्यीकरण इस कार्यक्रम की शोभा को ओर बढ़ा देगा। 

कुलपति जी के इस निरीक्षण के दौरान प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिलसिंह एवं विभाग के शिक्षकगण डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन एवं डॉ गरिमा शर्मा उपस्थित थे।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं