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30वें संचेतना साहित्य महोत्सव में साहित्यकारों को अर्पित किए गए राष्ट्ररत्न एवं भारत गौरव अलंकरण

  • संस्कृति संरक्षण के लिए आगे आएँ साहित्यकार - डॉ गुप्त
  • जो प्रेरणा दे, सर्व कल्याणकारी हो वह मनुष्य सच्चे अर्थों में देवतुल्य - प्रो शर्मा
  • 30वें संचेतना साहित्य महोत्सव में साहित्यकारों को अर्पित किए गए राष्ट्ररत्न एवं भारत गौरव अलंकरण
  • देवतुल्य मानव और अन्य पुस्तकों का विमोचन किया गया

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 30 वें संचेतना साहित्य महोत्सव में पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं महामना मालवीय जी के जयंती दिवस पर 5वाँ अटल जयंती समारोह का आयोजन उज्जैन में किया गया। शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. अशोककुमार भार्गव, आईएएस, पूर्व संभागायुक्त, भोपाल, मुख्य वक्ता प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, विशेष अतिथि श्री राजेश जैन, अध्यक्ष राष्ट्रीय नवरत्न जैन संघ, उज्जैन थे। अध्यक्षता श्री हरेराम वाजपेयी, अध्यक्ष, हिन्दी परिवार इन्दौर ने की एवं स्वागताध्यक्ष श्री ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना थे। संस्था प्रतिवेदन डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव द्वारा प्रस्तुत किया गया।


इस अवसर पर प्रतिवर्षानुसार राष्ट्ररत्न अलंकरण से पूर्व संभागायुक्त कुलपति डॉ. मोहन गुप्त, रामायण मर्मज्ञ साहित्यकार श्री नरेन्द्रकुमार मेहता तथा रंजन कलश, इन्दौर की अध्यक्ष श्रीमती रंजना फतेपुरकर को अतिथियों द्वारा शॉल, प्रतीक चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र अर्पित कर सम्मानित किया गया।
समारोह में सम्पादक डॉ. प्रभु चौधरी की नवप्रकाशित पुस्तक देवतुल्य मानव एवं श्री नरेन्द्रकुमार मेहता की पुस्तक राम की दुर्लभ कथाएँ का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। समारोह संयोजक वरिष्ठ लेखक श्री यशवंत भण्डारी की पुस्तक समुंदर में मोती का लोकार्पण किया गया, जिसकी समीक्षा समीक्षक संगीता केसवानी, इन्दौर द्वारा प्रस्तुत की गई।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व संभागायुक्त एवं पूर्व कुलपति डॉ मोहन गुप्त ने कहा कि देश को जागृत करने के लिए शिक्षकों में संचेतना जगाना आवश्यक है। नई पीढ़ी को पढ़ाना एक आराधना के समान है। महामना पं मालवीय जी और अटलबिहारी बाजपेयी ने इतिहास को महत्वपूर्ण मोड़ दिया। अटल जी ने जिस ओर इस देश को ले जाना चाहा था, उस दिशा में देश को आगे बढ़ाया। हमसे हमारी संस्कृति को छुड़ाने की कोशिश की जा रही है, इस दिशा में साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों को सजग होना होगा। भारतीय संस्कृति के संबंध में जो नैरेटिव चल रहे हैं, उनको समझना होगा। महामना मालवीय जी ने पुरातन और नई विधाओं का समन्वय किया। आज भारत को समग्रता में देखने की कोशिश जरूरी है।

मुख्य वक्ता प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि जो सबको प्रेरणा दे और सर्व कल्याणकारी हो, वही सच्चे अर्थों में देवतुल्य होता है। मनुष्यों के मध्य इस प्रकार का भाव जहां देखा जाता है, उन्हें समाज सम्मान देता है। महामना मालवीय जी और अटल जी इस प्रकार के मनुष्यरत्न थे। दोनों ने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। दोनों ने देश के स्वाभिमान को पुनः जागृत करने की प्रेरणा दी। महामना के लिए ईश्वर प्रेम और देश प्रेम समान रूप लिए है। वे आजीवन भारत संतानों को उद्यमशील बनाने में जुटे रहे। अटल जी ने भारत को जीते जाते राष्ट्रपुरुष के रूप में स्वीकार करने का आवाहन किया है।


मुख्य अतिथि डॉ अशोक कुमार भार्गव, भोपाल ने कहा कि सुशासन के लिए अवसरों की समानता के साथ सबकी भागीदारी होनी चाहिए। प्रजा के हित में राजा का हित है, इस बात को भारतरत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने साकार किया। उन्होंने एकात्म मानवतावाद की संकल्पना को आगे बढ़ाया। अटल जी का स्मरण नई प्रेरणा से भर देता है।
अध्यक्षता करते हुए श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि महामना पं मालवीय जी का संबंध उज्जैन और मालवा क्षेत्र से रहा है। भारतरत्न अटलबिहारी बाजपेयी ने कभी ना हार मानने का आह्वान किया। समाज के लिए जो हितकारी हो, उसी कार्य को करने का वे आव्हान करते हैं।

फ्यूचर विजन कॉलेज, उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चौधरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ निसार फारूकी, उज्जैन ने किया।
देर शाम तक आयोजित कवि सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से आए कवियों ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता श्री यशवंत भंडारी, झाबुआ ने की। मुख्य अतिथि श्री महेंद्र सनाढ्य, नाथद्वारा एवं विशिष्ट अतिथि डॉ दीपेंद्र सिंह सिसोदिया, दाहोद, गुजरात, श्री बालासाहेब तोरस्कर, ठाणे, महाराष्ट्र, श्रीमती नीना शर्मा, नाथद्वारा थीं। इस सत्र में वरिष्ठ कवि श्री एम एल फुलपगारे, श्री शिशिर देसाई, शैली भागवत, कविता वशिष्ठ, प्रकाश त्रिवेदी, पद्मा तिवारी, पद्मचंद्र गांधी, जयपुर, प्रतिमा सिंह, श्रीमती हंसा गुनेर, उपमा आर्य, लखनऊ आदि ने अपनी सरस कविताएं सुनाईं। श्री अमर सिंह गुनेर, धार ने बांसुरी वादन किया। इस अवसर पर देव तुल्य मानव पुस्तक के लेखकों और रचनाकारों को भारत गौरव सम्मान एवं कवियों को अटल श्री काव्य सम्मान से सम्मानित किया गया।


कवि सम्मेलन का सफल संचालन प्रतिमा सिंह ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ प्रभु चौधरी ने किया। इस अवसर पर आशा रौतेला मेहरा, नई दिल्ली के कहानी संग्रह सपनों की उड़ान का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
शुभारम्भ सत्र की संयोजक डॉ. फरजाना छीपा, नाथद्वारा थीं। समारोह में अतिथियों का स्वागत डॉ. निसार फारूकी, शैली भागवत, डॉ. मनीषा दुबे, डॉ. नीना शर्मा, कविता वशिष्ठ, सुश्री प्रतिमासिंह आदि ने किया।

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