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महामना पं मदनमोहन मालवीय जी का योगदान अविस्मरणीय है

 पुण्यतिथि पर महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई

उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के अकादमिक परिसर में स्थित भारतरत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। 12 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि पर सुमन मानविकी भवन परिसर स्थित महामना मालवीय जी की प्रतिमा के समक्ष उनका पुण्य स्मरण करते हुए उनके विविधमुखी व्यक्तित्व एवं योगदान पर परिचर्चा हुई। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, विख्यात मुद्राशास्त्री डॉ आर सी ठाकुर, राजनीति विज्ञान अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष प्रो दीपिका गुप्ता, प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ डी डी बेदिया, डॉ संग्राम भूषण, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ रमण सोलंकी, डॉ अजय शर्मा, डॉ जितेश पोरवाल, डॉ दीपा द्विवेदी, श्रीमती हीना तिवारी आदि सहित अनेक शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने महामना पं मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की। 

कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने संबोधित करते हुए कहा कि महामना पंडित मदनमोहन मालवीय का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान रहा है। उन्होंने शिक्षा एवं राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसी महत्वपूर्ण सौगात दी। विक्रम विश्वविद्यालय में विगत वर्ष उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। वे युवा पीढ़ी के लिए महान आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। 

कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भारतरत्न महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी प्रखर स्वतंत्रता सेनानी के साथ महान विद्वान और पत्रकार थे। उन्होंने समाज को जगाने और देशोद्धार के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया। वे कहा करते थे, मर जाऊं मांगूं नहीं मैं निज हित के काज, परमारथ के काज में मोहि न आवत लाज। इस व्रत को उन्होंने आजीवन निभाया। 

प्रख्यात मुद्राशास्त्री डॉ  आर सी ठाकुर एवं डॉ रमण सोलंकी ने महामना मालवीय जी के बहुआयामी योगदान पर प्रकाश डाला।

संचालन डॉ अजय शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ रमण सोलंकी ने किया।

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