Skip to main content

विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के अध्ययनशाला में दिल्ली आई आई टी के विशेषज्ञों द्वारा माइक्रोस्कोपी पर कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न

डिजिटल माइक्रोस्कोप एवं उसकी कार्य प्रणाली पर व्याख्यान हुए

उज्‍जैैन। विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के अध्ययनशाला में दिल्ली आई. आई. टी. के विशेषज्ञों के द्वारा माइक्रोस्कोपी पर कार्यशाला का आयोजन दिनांक 19 नवंबर 2022 को किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी के अध्ययनशाला में दिल्ली आई.आई.टी. के विशेषज्ञों द्वारा माइक्रोस्कोपी पर कार्यशाला का आयोजन दिनांक 19 नवंबर 2022 को किया गया। इस कार्यशाला में डिजिटल माइक्रोस्कोप एवं उसकी कार्य करने की प्रणाली पर व्याख्यान दिए गए। इस कार्यशाला में मुख्यतः डॉ रविकृष्णन, श्री प्रभु बालसुब्रमण्यम श्री तुषार जोशी एवं श्री आमीर खान दिल्ली आई आई टी, डॉ प्रतीक संचेती, नीति आयोग एवं त्रिविमा सलूशन के डॉ सचिन जोशी ने भाग लिया।



कार्यशाला में सर्वप्रथम आई.आई.टी. के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ रविकृष्णन ने माइक्रोस्कोप की जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को उसके कार्य करने के तरीके से परिचित कराया।


विद्यार्थियों को माइक्रोस्कोप की विस्तृत जानकारी देने के बाद दल के अन्य सदस्यों ने विद्यार्थियों को माइक्रोस्कोप से विभिन्न स्पेसिमेन दिखाए। इस कार्यशाला में बी एससी प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थी दिव्यांश श्रीवास्तव, युगांक सिंह, त्रिलोक कुमार झा, कौटल्य किशोर, रिदम सिंह, मधुर अग्रवाल, रुशान अब्दुल्ला आदि ने कई प्रश्न कर एक उपयोगी संवाद किया।


इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय आई.आई.टी. जैसी उच्च संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करते हुए शोध एवं अनुसन्धान के नए आयामों को छूने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही बायोटेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए 3 डी प्रिंटिंग और ऑर्गन निर्माण जैसी नई तकनीकों पर कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों की विषय में रुचि बढ़ाने के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। इनकी निरंतरता बानी रहनी चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि माइक्रोस्कोपी विज्ञान से जुड़ा एक मूलभूत विषय है और इसकी सही जानकारी छात्रों में होना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की माइक्रोस्कोपी पर कार्यशाला कराने की यह पहल अति सराहनीय है। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह एवं विभाग के शिक्षक डॉ अरविन्द शुक्ल और डॉ स्मिता सोलंकी द्वारा किया गया। कार्यशाला में तकनीकी सहयोग डॉ संतोष कुमार ठाकुर द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ गरिमा शर्मा ने किया एवं आभार डॉ शिवि भसीन ने माना।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती ...

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं...

दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा

अमरवीर दुर्गादास राठौड़ : जिण पल दुर्गो जलमियो धन बा मांझल रात। - प्रो शैलेन्द्रकुमार शर्मा माई ऐड़ा पूत जण, जेहड़ा दुरगादास। मार मंडासो थामियो, बिण थम्बा आकास।। आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले ऊपर वास। सैल अणी हूँ सेंकतो बाटी दुर्गादास।। भारत भूमि के पुण्य प्रतापी वीरों में दुर्गादास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718)  के नाम-रूप का स्मरण आते ही अपूर्व रोमांच भर आता है। भारतीय इतिहास का एक ऐसा अमर वीर, जो स्वदेशाभिमान और स्वाधीनता का पर्याय है, जो प्रलोभन और पलायन से परे प्रतिकार और उत्सर्ग को अपने जीवन की सार्थकता मानता है। दुर्गादास राठौड़ सही अर्थों में राष्ट्र परायणता के पूरे इतिहास में अनन्य, अनोखे हैं। इसीलिए लोक कण्ठ पर यह बार बार दोहराया जाता है कि हे माताओ! तुम्हारी कोख से दुर्गादास जैसा पुत्र जन्मे, जिसने अकेले बिना खम्भों के मात्र अपनी पगड़ी की गेंडुरी (बोझ उठाने के लिए सिर पर रखी जाने वाली गोल गद्देदार वस्तु) पर आकाश को अपने सिर पर थाम लिया था। या फिर लोक उस दुर्गादास को याद करता है, जो राजमहलों में नहीं,  वरन् आठों पहर और चौंसठ घड़ी घोड़े पर वास करता है और उस पर ही बैठकर बाट...