Skip to main content

कक्षा में बैठा हर छात्र अद्वितीय है और शिक्षकों को छात्रों की इसी अद्वितीयता का अंकुरण करना है- श्री मुकुल कानिटकर

भोपाल। एनआईटीटीटीआर भोपाल के राजीव गाँधी सभागार में भारतीय ज्ञान परंपरा में शिक्षक प्रशिक्षण संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमे मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर थे, वहीं उक्त संगोष्ठी की अध्यक्षता निटर के निदेशक प्रोफेसर सीसी त्रिपाठी ने की एवं समन्वयक प्रो. संजय अग्रवाल थे। 

अपने व्याख्यान में श्री मुकुल कानिटकर जी ने कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा सनातन है, और वह अंग्रेजी के ट्रेडीशन का अनुवाद नही है। ज्ञान की यह परंपरा चिरंतन, शाश्वत और हमेशा वर्तमान रहती है। इसलिए हमें इस परंपरा का साक्षत्कार करना है, इसे पहचानना है, आज की परिस्थितियों में इसका उपयोग करना है। शिक्षण कोई स्किल नही है यह एक कला है जिसकी साधना करनी पड़ती है और शिक्षक वास्तव में कला साधक होता है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि कार्यशाला को आनंदशाला में परिवर्तित करें और आनंद तभी मिलेगा जब आत्मानुभूति से प्राप्त ज्ञान से आपका साक्षात्कार होगा। कक्षा में बैठा हर छात्र अद्वितीय है और शिक्षकों को छात्रों की इसी अद्वितीयता का अंकुरण करना है। श्री कानिटकर जी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि शिक्षा मनुष्य की अन्तर्निहित अभिव्यक्ति मात्र है, जब ज्ञान आपके अन्दर से बाहर की और आयेगा तब ज्ञान प्रकाशित होगा। हमें भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार संपूर्ण देश का सर्वांगीण विकास करना होगा। भारतीय मूल्यों की स्थापना तथा परंपरा को आधुनिकता से जोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों तथा नए संसाधनों का उन्मेष करें। हर क्षेत्र में भारतीय परंपरा के अनुसार बुनियादी परिवर्तन होने शुरू हो गये हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक अपने प्रशिक्षणों में भारत की ज्ञान परंपरा, गौरव बिंदु, वैज्ञानिक दृष्टि आदि को सम्मिलित कर इस बीज-बिंदु पर तुरंत कार्य करें। स्वतंत्र राष्ट्र का जनमानस शिक्षा से बनता है अतः शिक्षण एवं प्रशिक्षण दोनों ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। 

अपने व्याख्यान से सभी को अभिभूत करने के लिए प्रो. सी.सी. त्रिपाठी ने श्री कानिटकर जी को धन्यवाद दिया एवं इस बात को भी सुनिश्चित किया कि भारतीय शिक्षण मंडल के साथ भविष्य में निटर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी करेगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कई संस्थानों के पचास से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का संचालन प्रो. संजय अग्रवाल द्वारा किया गया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं