Skip to main content

विश्व डायबिटीज डे पर आयुर्वेद चिकित्सा का दृष्टिकोण

डायबिटीज आमतौर पर प्रमेह अथवा शक्कर की बीमारी के नाम से जाना जाता है। यह पाचन प्रक्रिया में उत्पन्न विकृति के कारण होने वाली बीमारी है यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है । भारत में डायबिटीज के करीब 77 मिलियन मरीज हैं ,इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक भारत में  प्रमेह मरीजों की संख्या 101 मिलियन हो सकती है। विकासशील देशों में शहरीकरण से लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है ,एक ही जगह बैठकर अधिक समय तक काम करना ,व्यायाम का अभाव ,आहार की बदलती आदतें, तथा बढ़ा हुआ मानसिक तनाव इन सब कारणों से बड़ा मोटापा कोलेस्ट्रोल तथा रक्तभार बीपी उत्पन्न होते हैं । ऐसे रोगियों में प्रमेह रोग होने की संभावना अधिक होती है।

 डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज शरीर के रक्त में असामान्य से अधिक बढ़ी हुई शर्करा को कहते हैं अपर्याप्त इंसुलिन के उत्पादन के कारण होता है, टाइप 2 डायबिटीज अक्सर उम्र दराज लोगों में देखा जाता है यह डायबिटीज का सबसे आम प्रकार है ।

डायबिटीज होने के क्या कारण हैं ?

1. आहार - मीठे रस वाले पदार्थों का अधिक मात्रा में और अनियमित सेवन करना, दूध व दूध से बने पदार्थों का अति मात्रा में सेवन करना, दही मछली नवीन अन्य का सेवन गुण, तथा गुड़ से बने पदार्थों का अधिक सेवन करना,

2. विहार- अधिक समय तक आराम से लेते रहना, व्यायाम ना करना ,अधिक समय तक नींद लेना ,खाना खाने के तुरंत बाद सोना आदि विहार के सेवन से डायबिटीज रोग के उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है।  

डायबिटीज के लक्षण -

अधिक प्यास लगना ,अधिक भूख लगना अधिक पसीना आना, बार-बार मूत्र त्याग करना, वजन में कमी होना ,दुर्बलता थकान होना ,आंखों के सामने धुंधलापन आना ,हथेली एवं पैरों के तलवों में जलन आदि मुख्य लक्षण होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रमेय व्यक्ति को अन्य संक्रमण की संभावना भी अधिक होती है। आज के युग में प्रमेह सबसे अधिक होने वाली व्याधि है ,यह स्थिति संपूर्ण चिकित्सा जगत के लिए अत्यंत चिंतित विषय है इससे बचने के लिए उचित समय पर चिकित्सा एवं उचित खाना पानी अत्यंत आवश्यक है, साथ ही जीवन शैली का नियमितीकरण इस की संभावनाओं को कम कर सकता है ।

प्रमेह उत्पन्न ना हो उसके लिए क्या कर सकते हैं ?

भोजन समय तथा उचित मात्रा में ही करना चाहिए ,आहार में सभी रसों का उपयोग उचित मात्रा में करना चाहिए ,खाद्य पदार्थों तथा पिष्ट में स्नेही युक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए ,नियमित क्रम से व्यायाम करना चाहिए ।योगा अभ्यास करना चाहिए ,जैसे सूर्य नमस्कार ताड़ आसन, पद्मासन, प्राणायाम आदि को नियमित रूप से करना चाहिए। तथा समय-समय पर शर्करा की जांच करवाना चाहिए तथा चिकित्सक के निर्देशानुसार औषध आदि का नियमित सेवन करना चाहिए।

डॉक्टर ओ. पी.व्यास

प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष 

काय चिकित्सा विभाग

शासकीय धन्वंतरी आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय उज्जैन मध्य प्रदेश

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं