उज्जयिनी की शैव परंपरा का सामाजिक समरसता में योगदान पर केंद्रित संगोष्ठी का आयोजन प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला में किया गया
उज्जैन। उज्जयिनी की शैव परंपरा का सामाजिक समरसता में योगदान पर केंद्रित संगोष्ठी का आयोजन प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला में किया गया। जिसके अंतर्गत अनेक विद्वानों के व्याख्यान हुए। कुलगान तथा सरस्वती पूजन के पश्चात विभागाध्यक्ष एवं कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने स्वागत भाषण दिया तत्पश्चात उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने की। उन्होंने शिव परिवार की जैव विविधता पर अपना वक्तव्य व्यक्त किया। वडोदरा गुजरात से पधारे श्री परमेंद्र गज्जर विशिष्ट अतिथि के रूप में थे, जिन्होंने भूर्ज पत्र पर शिव परिवार के चित्रों की विवेचना की। विषय विशेषज्ञ के रूप में नर्मदा पुरम होशंगाबाद शासकीय महाविद्यालय से प्रोफ़ेसर हंसा व्यास उपस्थित थीं। आपने शैव धर्म तथा उज्जैन पर अपना वक्तव्य दिया l इसी अवसर पर शासकीय कन्या महाविद्यालय उज्जैन के सेवानिवृत्त प्रोफेसर रवींद्र भारद्वाज मुख्य वक्ता के रूप में थे। उन्होंने उज्जैन के पाशुपत संप्रदाय के बारे में अपना व्याख्यान दिया।
इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के निदेशक डा. आरसी ठाकुर उपस्थित थे। उन्होंने मुद्राओं में महाकाल तथा शैव धर्म पर अपना व्याख्यान दिया। प्रोफेसर अल्पना दुभाषे, माधव महाविद्यालय इतिहास विभागाध्यक्ष ने परमार अभिलेखों में शैव धर्म पर चर्चा की। इसी अवसर पर कार्यपरिषद के सदस्य श्री संजय नाहर जी, डॉक्टर धीरेंद्र सोलंकी , डॉक्टर अजय शर्मा , डॉक्टर रमन सोलंकी, डॉक्टर विश्वजीतसिंह परमार, डॉ हेमंत लोदवाल, रितेश लोट, सुश्री नेहा उपाध्याय, उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीति पांडे ने किया तथा आभार डॉ अंजना सिंह ने माना ।
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