उपलब्ध संसाधनों के आधार पर सीटें बढ़ाने पर किया जाएगा विचार
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि बी. एससी. बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों ने गत एक वर्ष के समय में कई महत्वपूर्ण उत्पाद बनाये हैं, जैसे हर्बल, क्रीम, चॉकलेट, टोनर, सैनेटाइजर, इम्यून पाउडर आदि। इस विभाग के शिक्षकों ने अपने शिक्षण के तरीकों में प्रायोगिक पद्धति का समायोजन करते हुए छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया है एवं अपने द्वारा किये गए कार्यों को छात्रों और आम जनता तक पहुंचने में भी विभाग सफल रहा है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने बताया कि विश्वविद्यालय का ध्यान बायोटेक्नोलॉजी की शैक्षणिक एवं प्रायोगिक गुणवत्ता बनाये रखने पर है और इसी कारण विश्वविद्यालय उपलब्ध संसाधनों के आधार पर सीट बढ़ाने का विचार कर रहा है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी विभाग गत दो वर्षों से विश्वविद्यालय का केंद्रीय बिंदु रहा है और इस विभाग के शिक्षक एवं छात्रों को समय-समय पर माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय का मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है। कुलपति जी ने इस विभाग में कई बार छात्रों की प्रायोगिक कक्षाएँ भी ली हैं जिससे, छात्रों एवं शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलता रहा है।
विभाग के शिक्षक डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी एवं डॉ गरिमा शर्मा ने बताया कि विभाग ने यह उपलब्धि एक लम्बे अंतराल के बाद हासिल कि है, इससे सम्पूर्ण विभाग में हर्षोल्लास का माहौल है और पूरा विभाग इस उपलब्धि के साथ आई एक बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तत्पर है। साथ ही उन्होंने माननीय कुलपति प्रोफेसर पाण्डेय को विभाग का निरंतर मार्गदर्शन करने के लिए एवं सी. यू. ई. टी. में विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों को शामिल करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
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