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विक्रम विश्वविद्यालय में हुआ हिंदी विमर्श का आयोजन

हिन्दी में ज्ञान के प्रकाश पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

उज्जैन। माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार द्वारा हिंदी भाषा में मेडिकल के पाठ्यक्रम का शुभारंभ भोपाल, मध्यप्रदेश से 16 अक्टूबर को किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के परिप्रेक्ष्य में एक दिवस पूर्व 15 अक्टूबर को विक्रम विश्वविद्यालय में हिंदी विमर्श का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की हिंदी अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक थे। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ अजय शर्मा, डॉ अमृता शुक्ला आदि ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला।

कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा देने से बच्चों का मस्तिष्क विकसित होता है। इसका संबंध हमारे मनोविज्ञान से है। मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि सभी क्षेत्रों की पढ़ाई हिंदी माध्यम से हो, इस दिशा में भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अपनी भाषा के माध्यम से उच्च अध्ययन और अनुसंधान की व्यवस्था होने से समाज में युवा वर्ग को कार्य करने के व्यापक अवसर मिलेंगे।

कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदी माध्यम से शिक्षण की सुविधा होने से ज्ञान - विज्ञान का समग्र विकास होगा। इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों का आम जनता के साथ जुड़ाव पैदा होगा।

कुलानुशासक प्रोफ़ेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा का संबंध हमारी पहचान से है। हिंदी माध्यम से चिकित्सा विज्ञान एवं अन्य अनुशासनों की शिक्षा एक नए युग का आरंभ है। भाषा से जुड़ी मानसिक गुलामी से मुक्ति के लिए ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्रों में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है। प्रोफेसर गीता नायक ने कहा कि स्वयं की भाषा के माध्यम से ही उन्नति संभव है। यदि शब्द का प्रकाश नहीं होता तो हम अंधकार में रहते। डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक साहित्य के अनुवाद में इस बात का ध्यान दिया जाना जरूरी है कि उसमें अंग्रेजी या अन्य भाषा की गंध नजर ना आए। हिंदी में मौलिक विज्ञान लेखन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। डॉक्टर अमृता शुक्ला ने कहा कि अंग्रेजी भाषा के माध्यम के कारण चिकित्सा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को बहुत समस्याएं होती थीं। अब मध्यप्रदेश शासन द्वारा चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की पाठ्यपुस्तकें हिंदी माध्यम से उपलब्ध कराने से विद्यार्थियों का समग्र विकास होगा। आयोजन में डॉ अजय शर्मा, श्रीमती नेहा सिंह, मोहन तोमर, जयहिंद स्वतंत्र, रणधीर आठिया, पिंकेश कुमार सिंह, श्यामलाल चौधरी, मोहन तोमर, दुर्गा सोनी चाँद अंजुम आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ एस के मिश्रा, डॉक्टर शैलेंद्र भारल, डॉक्टर संग्राम भूषण, डॉ सुशील शर्मा, डॉक्टर रमण सोलंकी, डॉ नेहा माथुर, डॉक्टर परिमिता सिंह आदि सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अजय शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉक्टर जगदीश चंद्र शर्मा ने किया।

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