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प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा राष्ट्र गौरव सम्मानोपाधि से अलंकृत

यशवंत भंडारी की पुस्तक समुंदर में मोती तथा संचेतना समाचार पत्र का विमोचन हुआ

राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय संस्कृति पर मंथन

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिंदी परिवार इंदौर की इकाई उज्जैन द्वारा प्रेस क्लब के सभागार में सारस्वत सम्मान समारोह, राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय संरक्षक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा कला संकायाध्यक्ष, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के साहित्य, संस्कृति एवं क्षेत्र में बहुआयामी अवदान के लिए उनका सारस्वत अभिनन्दन करते हुए राष्ट्र गौरव सम्मानोपाधि अर्पित की गई।


समारोह में राष्ट्रीय सचिव एवं अभिभाषक श्रीमती प्रभा बैरागी का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार कवि झाबुआ के श्री यशवंत भंडारी, राष्ट्रीय संयोजक की नव प्रकाशित पुस्तक क्षणिकाएं और हाइकु संग्रह - समंदर में मोती एवं संचेतना समाचार पत्र के विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 एवं भारतीय संस्कृति पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के माननीय कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय एवं विशिष्ट अतिथि कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बृजकिशोर शर्मा ने की। समारोह की मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती ज्योति जैन, इंदौर थीं। आयोजन के विशेष अतिथि श्री रजत मेहता पार्षद एवं अध्यक्ष प्रकाश समिति, नगर निगम, श्री यशवंत भंडारी, झाबुआ, श्री विजय सुराणा, प्रबंध ट्रस्टी, उज्जैन तथा श्रीमती प्रभा बैरागी थीं। पुस्तक समीक्षा श्री शरद शास्त्री, झाबुआ ने प्रस्तुत की।

कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शक की भूमिका बहुत बड़ी होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बात पर बहुत बल दिया गया है। प्रो शर्मा निरन्तर नई पीढ़ी के निर्माण में सक्रिय हैं। साहित्य समाज का आईना है। समाज के निर्माण में साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान होता है। साहित्यकार पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए आगे आएं।

शिक्षाविद् श्री ब्रजकिशोर शर्मा, उज्जैन ने कहा कि प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा सरस्वती के वरदपुत्र हैं। वर्तमान युग में सरस्वती की प्रतिष्ठा सभी ओर हो, यह आवश्यक है। सच्चा साहित्य साधक वह है, जो चिंतन, मनन के साथ व्यापक समुदाय तक उसे अभिव्यक्त करे। इस दृष्टि से प्रो शर्मा निरंतर समाज और युवा पीढ़ी के निर्माण में सन्नद्ध हैं।

प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीयता केंद्रित नीति है। इसमें सांस्कृतिक परम्पराओं और ज्ञान प्रणाली को विशेष महत्व दिया गया है। विद्यार्थियों को मानवीय मूल्य और भारतीय चिंतन के महत्वपूर्ण आयामों से जोड़ने के लिए साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। श्रीमती ज्योति जैन इंदौर ने कहा कि ब्रिटिश काल में शिक्षा केंद्रों द्वारा विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति से विमुख करने का प्रयास किया जाता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस स्थिति को बदलती है। वर्तमान में शिक्षा के अधिकार से कोई वंचित न हो इसके लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है।


कार्यक्रम को श्री विजय सुराणा, उज्जैन, श्री रजत मेहता, डॉ प्रभा बैरागी आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में अतिथियों ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा को शॉल, श्रीफल, पुष्पगुच्छ एवं प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें राष्ट्र गौरव सम्मान उपाधि से अलंकृत किया। कार्यक्रम में श्री प्रवीण सोनी, श्री एम एल फुलपगारे, जयेंद्र बैरागी, संजय जैन, झाबुआ में अपनी रचनाओं की प्रस्तुति की। अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव और समारोह प्रभारी डॉक्टर प्रभु चौधरी ने दिया। शुरुआत में अतिथियों ने वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीपदीपन किया। सरस्वती वंदना राष्ट्रीय सचिव प्रगति बैरागी ने प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन श्रीमती हीना तिवारी ने किया एवं आभार प्रदर्शन श्रीमती गीता पवार ने किया। समारोह में सरल काव्यांजलि की ओर से श्री संतोष सुपेकर, श्री नरेंद्र जैन, इंदौर से श्रीमती ज्योति जैन ने प्रोफेसर शर्मा को उनके जन्मदिवस पर बधाई देते हुए उन्हें पुस्तकें एवं प्रतीक चिन्ह अर्पित करते हुए सम्मानित किया।

समारोह में डॉ पुष्पा चौरसिया, डॉ हरीश कुमार सिंह, डॉ अनिल जूनवाल, श्री कल्याण शिवहरे, श्री इंदरसिंह परमार, कमल जोशी, सुश्री प्रगति बैरागी, श्रीमती हेमलता शर्मा भोली बेन, इंदौर, श्रीमती हीना तिवारी, डॉ कृष्णा जोशी, ज्योति सिंह ठाकुर, गीता पंवार, युगेश द्विवेदी, निखिल मधेशिया, अरुण प्रजापति आदि उपस्थित थे।

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