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विक्रम विश्वविद्यालय में विश्व ओजोन डिप्लीशन दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिता सम्पन्न

विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, कृषि अध्ययनशाला और अभियांत्रिकी अध्ययनशाला (एस. ओ. ई. टी.) द्वारा विश्व ओजोन डिप्लीशन दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन सम्पन्न


उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, कृषि अध्ययनशाला और अभियांत्रिकी अध्ययनशाला (एस. ओ. ई. टी.) के द्वारा विश्व ओजोन डिप्लीशन दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 16 सितम्बर को प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में दोपहर 1.30 बजे से किया गया, जिसमें 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
ओजोन लेयर धरती से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर पायी जाने वाली एक परत होती है, इस परत का मुख्य कार्य सूर्य की पराबैंगनी किरणों को हम तक पहुँचने से रोकने का होता है। यह किरणें यदि मनुष्य तक पहुंचे तो मानव एवं पशु, पेड़- पौधो के लिए भी हानिकारक होंगी। पिछले कुछ समय में प्रदूषणकारी तत्वों के अत्यधिक इस्तेमाल ने इस परत को क्षतिग्रस्त किया है, इसलिए जन-मानस में ओजोन परत के प्रति जागरूकता जगाने के लिए हर वर्ष 16 सितम्बर को विश्व-ओजोन डिप्लीशन दिवस बनाया जाता है।


इसी बात को ध्यान में रखते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला, अभियांत्रिकी अध्ययनशाला (एस. ओ. ई. टी.) और कृषि अध्ययनशाला के द्वारा विश्व ओजोन डिप्लीशन दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 16 सितम्बर को प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में दोपहर 1.30 बजे से किया गया।

प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह एवं अभियांत्रिकी अध्ययनशाला (एस. ओ. ई. टी.) एवं कृषि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य छात्रों को ओजोन परत के डिप्लीशन के प्रति जागरूक करने का होगा, जिससे छात्रों को इस बात की गंभीरता को समझने में मदद मिलेगी।


विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पाण्डेय के अनुसार ओजोन परत से जुड़े एक विश्लेषण में यह पाया है कि क्लोरो फ्लोरो कार्बन ओजोन परत में होने वाले विघटन के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफॉर्म, कार्बन टेट्राक्लोरिड आदि रसायन पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में सक्षम हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा की विभागों ऐसे महत्वपूर्ण दिवस विभाग में मना कर छात्रों को इसकी मूल अवधारणा से परिचित करना चाहिए।

कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवी भसीन, इंजीनियर अंजलि उपाध्याय और डॉ गरिमा शर्मा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 100 से अधिक छात्रों ने सहभागिता की एवं कार्यक्रम के मूल उदेश्य को भी समझा।

इस अवसर पर उपस्थित विभागों के अन्य शिक्षकों डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी, इंजीनियर कंचन थूल एवं इंजीनियर मोहित प्रजापति ने बताया कि छात्रों में इस प्रतियोगिता में भाग लेने से हर्ष का माहौल है तथा उम्मीद है कि ऐसी प्रतियोगिता के आयोजन से छात्र प्रकृति के प्रति अपने उतरदायित्व को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।


विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर प्रशांत पुराणिक ने विभागों के इस कार्य की सराहना की, उन्हें इसके सफल आयोजन पर बधाई दी एवं ऐसे क्रायक्रमों की निरंतरता बनाये रखने की अपील की।

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार विक्रम विश्वविद्यालय ने सदा छात्रों को पर्यावरण से जोड़े रखने का प्रयास किया है, अतः इस दिशा में इन अध्ययनशालाओं द्वारा लिया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम है, उन्होंने आयोजकों को इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन पर बधाई दी।

प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह एवं अभियांत्रिकी अध्ययनशाला (एस. ओ. ई. टी.) एवं कृषि अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य छात्रों को ओजोन परत के डिप्लीशन के प्रति जागरूक करने का होगा, जिससे छात्रों को इस बात की गंभीरता को समझने में मदद मिलेगी।

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