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ब्रह्माकुमारी संस्था के शिव दर्शन धाम में पांच दिवसीय ज्ञान वर्षा प्रवचन माला का द्वितीय सत्र "दुआओं का चमत्कार" प्रेरणादाई रहा

उज्जैन। वेद नगर स्थित ब्रह्माकुमारी संस्था के शिव दर्शन धाम में पांच दिवसीय ज्ञान वर्षा प्रवचन माला के द्वितीय सत्र "दुआओं का चमत्कार" विषय पर प्रेरणादाई उद्बोधन रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।

जिसमें महेश मोयल (सुप्रसिद्ध गायक), डॉक्टर प्रदीप पंड्या (लोटस हॉस्पिटल के डायरेक्टरकर) , सत्यनारायण जायसवाल, (सिटी केवल और अल्पाइन कॉलेज के डायरेक्टर ), ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी उषा दीदी जी एवं ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी, ब्रह्माकुमारी रूबी बहन शामिल हुए।
ब्रह्माकुमारी रूबी ,बहन (प्रमुख वक्ता) दुआओ का चमत्कार पर कहती है कि, दुआ मन और पवित्र संकल्पों से दिया जाता है। साधु सन्यासी की दुआ ज्यादा असरदार होती है क्योंकि उनके संकल्प पवित्र शुद्ध होते हैं। कोई इतना भी अमीर नहीं की दुआओं के बिना काम चला ले। ईश्वर की दुआ है, हमारे मात-पिता की दुआ है, हमारा यह सुंदर जीवन, जीवन की दुआ है, हमारा मन और मन की दुआ है, सब का भला हो सब सुख पाए। ले लो अपने जीवन में दुआ न जाने कब बन जाएगी दवा।
दुआ दो दुआ लो। अपने लिए कुछ नहीं चाहिए औरों का भला हो जाने दो इसी भाव का नाम है निस्वार्थता। T-thanks E -easy nature A -acceptation
खुद को खुदा से जुड़ेंगे तो परमात्म से दुआएं मिलेंगी। अंत मे मेडिटेशन भी कराया। कुमारी गीतिका ने बहुत सुंदर नृत्य की प्रस्तुति दी।

महेश गोयल जी (सुप्रसिद्ध गायक) ने कहा कि सांसारिक जीवन में दुआओं का बहुत महत्व है। अगर मैं आज यहां खड़ा हूं तो वह भी दुआओं की वजह से ही हूं। ब्रह्माकुमारी आश्रम में आकर परमात्मा का सत्य पहचान मिलता है। भगवान का ध्यान करोगे उतना भगवान आपका ध्यान रखेगा। करोना एक से दो , दो से चार और धीरे-धीरे पूरे संसार में फैल गया था तो क्यों नहीं अच्छाइयां भी पूरे संसार में हम फैला सकते हैं। दुआ लेने के लिए सत्कर्म करना जरूरी है। दुआ देने के लिए धन संपदा की जरूरत नहीं है लेकिन बड़ा दिल होना चाहिए। और आपने दुआ युक्त अनुभव सभी से शेयर किया।
पीसी शेखर रेलवे लाइन कहते है कि, बहुत सुंदर मांगी थी एक दुआ जो कबूल हो गई गीत की प्रस्तुति दी।
ब्रह्माकुमारी वरिष्ठ राजयोगिनी शिक्षिका उषा दीदी जी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि, जिस प्रकार से हम अपने बैंक बैलेंस को देखते हैं कि कितना जमा और कितना कम हुआ है उसी प्रकार हम सभी को अपने दुआओं के खाते की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है मेरी दुआओं का खाता कितना है, हमने अपने जीवन में दुआ कितनी अर्जित की है, दुआ ऐसी चीज है जो मांगने से नहीं मिलती है, दुआ के लिए हमें पात्र बनना पड़ता है। दुआ हमारे अंदर राजयोग के अभ्यास से आती है, जितना परमात्मा से संबंध होता है उतना परमात्मा की दुआएं हम पर बरसती हैं। दुआ का खाता भरपूर है तो हम महसूस करेंगे कि हम अपने जीवन में हल्के हैं संतुष्ट हैं।
मनोहरलाल माहेश्वरी जी ने आभार व्यक्त किया। कुमारी मंजू दीदी जी ने सुचारू रूप से मंच संचालन किया। अनेक उज्जैन वासी ज्ञान वर्षा प्रवचन माला से लाभान्वित हुए।

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