उक्त सारगर्भित उद्बोधन संत आचार्य विनोबा भावे जयंती के अवसर पर नागरी लिपि संगोष्ठी में मुख्य वक्ता श्री कृष्णकुमार अष्ठाना ने शिवाजी भवन सभागृह श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में संबोधन में व्यक्त किये।
नागरी लिपि संगोष्ठी के अध्यक्ष श्री हरेराम वाजपेयी अध्यक्ष हिन्दी परिवार इन्दौर ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिन्दी आज विश्व भाषा बन चुकी है और माने तो विश्व की सबसे बड़ी भाषाओं में दूसरा स्थान प्राप्त करके विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त करेगी। हिन्दी की लिपि देवनागरी है जो पिछले एक हजार से प्रयुक्त हो रही है। देवनागरी लिपि हिन्दी की ही लिपि के साथ-साथ संविधान की आंठवी अनुसूची में सम्मिलित 22 भाषाओं में से संस्कृत, मराठी, नेपाली, बोडो, डोंगरी तथा मैथिली भाषाओं की भी लिपि है।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार भार्गव आईएएस पूर्व संभागायुक्त ने अपने भाषण में कहा कि देवनागरी लिपि इतनी पूर्ण एवं सक्षम है कि इसमें जो लिखा जाता वही पढ़ा भी जाता है, जो बोला जाता वही लिखा भी जाता है। नागरी लिपि में अपेक्षानुसार वे सभी गुण विद्यमान जो विश्व लिपि के लिये आवश्यक होते है।
संगोष्ठी की प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी संयोजक इकाई म.प्र. ने बताया कि भाषा एवं संस्कृति की दृष्टि से नागरी लिपि का विशेष महत्व है। आज सूचना और प्रो़द्योगिकी के युग में भी नागरी लिपि ने अपनी श्रेष्ठता और वैज्ञानिकता विश्व के सामने सिद्ध कर दी है।
संगोष्ठी में विदेशी प्रवासी श्रीमती रमा शर्मा, जापान डॉ. कपील कुमार बेल्जियम, श्री केशवराय मुम्बई, श्री ब्रजकिशोर शर्मा उज्जैन, श्रीमती मणिमाला शर्मा, कल्पना शाह धार, अर्चना लबानिया इन्दौर, डॉ. कृष्णा जोशी, डॉ. मनीषा दुबे दमोह, श्री विनोदकुमार सकवार, श्री कमलेश पटेल कटनी, प्रगति बैरागी उज्जैन आदि उपस्थिति रहे। संगोष्ठी का संचालन सुश्री प्रतिमासिंह ने एवं आभार मनीषा खेडेकर ने माना।
Comments