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विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति की संवाहिका भाषा हिन्दी - डॉ. शेख

राष्ट्रीय संचेतना समारोह मुम्बई में सम्पन्न

विश्व फलक पर जनभाषा हिन्दी के साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं की भी अहम भूमिका दिखाई दे रही है। हिन्दी के साथ इन भाषाओं की एकता से विश्व में जारी अंग्रेजी जैसी कुछ भाषाओं के वर्चस्व से मुक्ति की राह खुल सकती है। वर्तमान में विश्व के भाषायी परिदृश्य में दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चालीस भाषाओं में एक चौथाई भाषाएँ भारतीय ही है। विश्व पटल में भारत की आध्यात्मिक चेतना एवं संस्कृति की संवाहिका हिन्दी भाषा है।



उपर्युक्त सारगर्भित उद्बोधन राष्ट्रीय संचेतना समारोह में समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख(राष्ट्रीय मुख्य संयोजक) ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं मराठा मंदिर के संयुक्त आयोजन में कहा कि भारतीय चिंतन धारा में संस्कृति की संकल्पना अत्यन्त व्यापक रही है। हमारे देश में संस्कृति को पूर्णता का पर्याय माना गया है।


राष्ट्रीय संचेतना समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती व बाबा साहेब गाडगे को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से अतिथियो के द्वारा किया गया। अतिथियों का अंगवस्त्र से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजकुमार यादव ने स्वागत किया। समारोह की आयोजना(प्रस्तावना) श्रीमती सुवणा जाधव(राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष) ने प्रस्तुत की। तत्पश्चात् डॉ. प्रभु चौधरी की पुस्तक देवनागरी लिपिः तब से अब तक का लोकार्पण हुआ। मराठी संस्करण अनुवादक सुवर्णा जाधव ने पुस्तक की भूमिका बतायी।


समारोह के विशिष्ट अतिथि श्री संजीव निगम(पत्रकार) ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाली गुलामी की भाषा अंग्रेजी का सार्वजनिक प्रयोग कम होना चाहिये। हिन्दी का प्रयोग अधिक होगा तो विश्व में सम्मानजनक स्थान मिलेगा। सारस्वत अतिथि श्री विलासराव देशमुख ने कहा कि हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान, भारतीयता की पहचान है। हिन्दी के बिना राष्ट्र गूंगा है। अपने देश एवं संस्कृति की रक्षा के साथ प्रथम राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान आवश्यक है।


समारोह की अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षक संचेतना उज्जैन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भारत पुनः विश्व गुरू कैसे बन सकता है। जिसका सहज उत्तर है कि हमारी हिन्दी राष्ट्रभाषा की प्रतिष्ठा प्राप्त करे। भारत की संस्कृति श्रेष्ठता एवं विशिष्टता के कारण ही विश्व गुरू के रूप में भारत की मान्यता प्राप्त होगी। संचालन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने किया आभार डॉ. वर्षासिंह ने माना।


समारोह के द्वितीय सत्र राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री प्रदीप विचारे अध्यक्ष मराठा मंदिर साहित्य शाखा मुम्बई ने कहा कि हिन्दी भाषा ही नहीं सांस्कृतिक विरासत की संरक्षिता भी है, आज हिन्दी के प्रति विदेशो में तीव्र गति से हिन्दी के प्रति लगाव बढ़ रहा है। विशिष्ट अतिथि श्री यशवंत भंडारी झाबुआ ने बताया कि हमारे मानसिक विकास में अन्य भारतीय भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है। भाषाएं हमारी राष्ट्रीय एकता को जोड़ती है। विशिष्ट अतिथि श्री दीपक देशमुख ने कहा कि भारत देश अद्भुत जहां इतनी भाषाएं और बोलियां है जहां हर भाषा का अपना साहित्यिक गौरव है। अध्यक्षता डॉ. अलका नाईक ने की । आपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मानवीय जीवन एवं रिश्तो में भावनाओं का श्रेष्ठ स्थान है। राष्ट्र की प्रगति में भाषा, शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। संचालन संयोजक राजकुमार यादव ने एवं आभार डॉ. बाला साहेब तोरस्कर ने माना।


राष्ट्रीय संध्या बहुभाषी काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री यशवंत भंडारी यश, विशिष्ट अतिथि श्री ब्रजकिशोर शर्मा, अध्यक्षता सुवर्णा जाधव ने की। काव्य गोष्ठी में हिन्दी एवं मराठी में कविता पाठ डॉ. बालासाहेब तोरस्कर, डॉ. अलका नाईक, छाया कोरेगांव, पंकज तिवारी, नंदू सावंत, डॉ. अनिल चतुर्वेदी, कृष्णा श्रीवास्तव, शीला शर्मा, ज्योति मोरे, प्रिया मरेकर, माधुरी फालक, डॉ. संगीता तिवारी, रेखा शर्मा, अपराजिता, जागृति सागोरिया, डॉ. वर्षासिंह, सुवर्णा जाधव, दीपिका कटरे, कंचनबाला फोटोग्राफर्स आदि ने अंत में अध्यक्षीय वक्तव्य कवितामय हुआ। मुख्य अतिथि श्री यशवंत भंडारी यश ने कविताओं से सभागृह को आनंदित किया। काव्यगोष्ठी का संचालन मुम्बई की वरिष्ठ कवयित्री डॉ. वर्षासिंह ने एवं आभार डॉ. सुजाता पाटील ने माना।

दो दिवसीय समारोह के समापन पत्र के मुख्य अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन शेख, विशिष्ट अतिथि डॉ. बालासाहेब तोरस्कर, श्री प्रदीप विचारे, सुवर्णा जाधव, अध्यक्षता श्री ब्रजकिशोर शर्मा ने की। संस्था प्रतिवेदन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने एवं स्वागत भाषण राजकुमार यादव ने दिया। अतिथियों ने साहित्यकारो को भाषा भूषण गौरव सम्मान एवं शिक्षको को डॉ. राधाकृष्णन श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान प्रदान किये। जिसमें कृष्णा श्रीवास्तव, डॉ. अनिल चतुर्वेदी, डॉ. सुजाता पाटील, डॉ. प्रभा शर्मा सागर, डॉ. संगीता तिवारी, योगिता कोठेकर, माधुरी फालक, डॉ. संजीवनी सांगले, सवितादेवी आव्हाड, डॉ. शीला शर्मा, ज्योति मोरे, डॉ. वर्षासिंह, डॉ. अनुराधसिंह, डॉ नागनाथ भेंडे, गौरव कुमार ठाकुर, जयप्रकाश मिश्रा, कमल अनंत घडत, सुवार्ता इंद्रासराव, नुतन मोईर, प्रिया मयेकर, सुवर्णा पंवार, डॉ. शशिकांत सावंत, विलास देवलेकर, डॉ. मुक्ता कौशिक, अशोक जाधव सहित 55 सम्मान पत्र प्रदान किये। संचालन दीपिक कटरे ने किया।

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