Skip to main content

मातृभाषा हिन्दी से प्रेम होना चाहिये

  • प्रदेश में मेडिकल, इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम हिन्दी में भी लागू होंगे
  • उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव हिन्दी ग्रंथ अकादमी स्वर्ण जयन्ती वर्ष के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुए

उज्जैन 30 सितम्बर। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि हमारी मातृभाषा हिन्दी से प्रेम होना चाहिये। प्रदेश में मेडिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम अब हिन्दी में भी लागू होंगे। हम वर्तमान समय में अतीत की प्रेरणा से नये कीर्तिमान रच रहे हैं। यह राष्ट्रभाषा का सांस्कृतिक यज्ञ है, जिसे हिन्दी ग्रंथ अकादमी के स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर सम्राट विक्रमादित्य के नगर में आयोजित किया गया है। हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा चिकित्सा, यांत्रिकी तथा प्रबंधन की पाठ्यक्रम पुस्तकें प्रथमत: प्रकाशित करने का गौरव प्राप्त हो रहा है।

इस आशय के विचार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने शुक्रवार 30 सितम्बर को अपराह्न में विक्रम कीर्ति मन्दिर में आयोजित मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी भोपाल एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में स्वर्ण जयन्ती समारोह समारोह के कार्यक्रम में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि उज्जयिनी कालगणना की नगरी है। हिन्दी ग्रंथ अकादमी का भी यही काम हिन्दी से है। हमारी हिन्दी भाषा राष्ट्रभाषा है। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि वे हिन्दी का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। हिन्दी का महत्व अधिक है। बहुभाषाएं भी विक्रम विश्वविद्यालय में एक-दूसरे छात्र को सीखाई जा रही है। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति को प्रदेश में अपनाकर विक्रम विश्वविद्यालय में नये-नये पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ किया है। देश के प्रधानमंत्री के 11 अक्टूबर को उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के पूर्व एक हफ्तेभर विक्रम विश्वविद्यालय के द्वारा शिव के विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। शिव मन्दिरों में पूजा-पाठ होगी। इसका ऑनलाइन कार्यक्रम भी होगा। मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल ने कहा कि मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी का स्वर्ण जयन्ती का समापन वर्ष 2020 में होना था, परन्तु कोविड महामारी के चलते हुए उक्त कार्यक्रम अब मना रहे हैं। इसी तरह अकादमी में अभी तक स्थापना दिवस नहीं मनाया था, परन्तु इस वर्ष 21 जून को स्थापना दिवस मनाया गया, जो हमारे लिये गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने अपना सफर 1970 से प्रारम्भ किया था, जो निरन्तर चल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में सर्वप्रथम मध्य प्रदेश में लागू की है। श्री कड़ेल ने कहा कि एक प्रान्त का ज्ञान दूसरे प्रान्त को मिले, इसका भी प्रयास अकादमी के द्वारा किया जा रहा है। अकादमी द्वारा ज्ञान सम्पदा पुस्तक प्रकाशित की है, जो विद्यार्थियों को इससे लाभ मिलेगा। अधिक से अधिक विद्यार्थी उक्त पुस्तक का अध्ययन कर ज्ञानवर्धन करें। प्रदेश में जिला स्तर, संभाग स्तर एवं राज्य स्तर पर निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थी। निबंध प्रतियोगिता में विषय ‘भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ था। निबंध प्रतियोगिता के परिणाम में प्रथम कु.विरती चौहान शासकीय संस्कृत महाविद्यालय रामबाग इन्दौर एवं द्वितीय स्थान पर कु.सुरूचि काले जयवंती हक्सर शासकीय महाविद्यालय बैतूल और तृतीय स्थान पर श्री संजय केवट शासकीय महाविद्यालय गोहवास जिला शहडोल रहे। विजेता छात्रों को अतिथियों के द्वारा प्रशंसा-पत्र, प्रोत्साहन राशि आदि भेंटकर पुरस्कृत किया गया। विजेताओं की घोषणा स्वामी विवेकानन्द कैरियर मार्गदर्शन योजना के निदेशक डॉ.उमेश कुमार सिंह ने की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत भाषण विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने दिया। कार्यक्रम में ‘स्वर्णिम रचना’ नामक पुस्तक का अतिथियों के द्वारा विमोचन किया गया। स्वर्णिम रचना ग्रंथ का परिचय उच्च शिक्षा उत्कृष्ट संस्थान भोपाल के प्राचार्य डॉ.प्रज्ञेश अग्रवाल ने दिया। लोकार्पित स्वर्णिम रचना ग्रंथ का सम्पादन प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ.राकेश ढंड, डॉ प्रज्ञेश अग्रवाल एवं डॉ अल्पेश चतुर्वेदी ने किया है।


कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां वाग्देवी के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की। अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक, प्राचार्य श्री अर्पण भारद्वाज, डॉ.रमण सोलंकी, श्री राकेश ढंड, श्री रामविश्वास कुशवाह आदि ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह, शाल, श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने सम्राट विक्रमादित्य इंस्टिट्यूट ऑफ हैल्थ साइंस भवन का लोकार्पण किया

विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में अनुमानित दो करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित सम्राट विक्रमादित्य इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ साइंस भवन का उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल, कुलसचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक, श्री गोविन्द प्रसाद शर्मा, श्री राजेश कुशवाह, श्री उमेश कुमार सेंगर आदि की उपस्थिति में लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.रामराजेश मिश्र सहित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, कुल सचिव, कुलपति, छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया और अन्त में आभार श्री रामविश्वास कुशवाह ने प्रकट किया।
पुस्तक बिक्री केन्द्र का शुभारम्भ

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने विक्रम कीर्ति मन्दिर परिसर में विक्रम विश्वविद्यालय के सौजन्य से पुस्तक बिक्री केन्द्र का फीता काटकर शुभारम्भ किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय समाज को पाश्चात्य आभा मण्डल से बाहर निकालेगी
स्वर्ण जयन्ती का उद्घाटन सत्र पूर्वाह्न 11 बजे से विक्रम कीर्ति मन्दिर में हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नईदिल्ली के अध्यक्ष डॉ.गोविन्द प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत में पिछले कई वर्षों में सैंकड़ों भाषाएं, बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं। हम एक समृद्ध सुसंस्कृत सभ्यता के उत्तराधिकारी होने के बावजूद यह वेदना का विषय होना चाहिये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय समाज को पाश्चात्य आभा मण्डल से बाहर निकालेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नईदिल्ली द्वारा शीघ्र ही साल के अन्त तक विक्रम विश्वविद्यालय एवं मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के सहयोग से पुस्तक मेले का आयोजन उज्जैन में होगा। उद्घाटन सत्र के परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल ने कहा कि भाषा के बिना शिक्षा का प्रचार-प्रसार नहीं हो सकता। भाषा से संवेदना उत्पन्न होती है। भाषा मन की मिठास है। भाषा संस्कृति की संवाहक है, भाषा के बिना व्यक्तित्व विकास संभव नहीं है। हिन्दी जन-मानस से विश्व भाषा बन गई है। उद्घाटन सत्र में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि भाषा राष्ट्र का गौरव होती है। व्यक्तित्व की पहचान के लिये विदेशी भाषा अनिवार्य नहीं है। शोधार्थी इस भ्रम को मिटायें कि विदेशी भाषा से ही शोध पहचाना जाता है। पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कुमार सीजी ने कहा कि समाज में भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। कौशल जीवनशैली मातृ भाषा से ही आती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार भाषा पर जोर दिया गया है।

उद्घाटन सत्र के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द योजना के निदेशक डॉ.उमेश कुमार सिंह, यूके नाटिंघम से श्रीमती जय वर्मा, आस्लो नार्वे से डॉ.सुरेशचंद्र शुक्ल ने भी परिसंवाद में अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.रामराजेश मिश्र, प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ.सत्यनारायण शर्मा, श्री राकेश ढंड, डॉ.जफर मेहमूद, डॉ.प्रेमलता चुटेल आदि उपस्थित थे। स्वागत वक्तव्य श्री रामविश्वास कुशवाह ने किया और अन्त में आभार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने व्यक्त किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं