विद्वानों को महाराजा प्रमर अलंकरण से सम्मानित किया गया
उज्जैन। विक्रम कीर्ति मंदिर, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में राजा भोज जन कल्याण सेवा समिति, रतलाम के तत्त्वावधान में श्री नरेन्द्र सिंह पंवार कृत महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ परमार पवार राजवंश रत्नमाला ग्रन्थ विमोचन समारोह एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में परमार राजवंश की भूमिका पर केंद्रित थी।
अध्यक्षता कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय प्रो.अखिलेश कुमार पांडेय ने की। सारस्वत अतिथि डॉ प्रशांत पुराणिक, कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय, डॉ रमण सोलंकी, पुराविद एवं विक्रम विश्वविद्यालय, कुलानुशासक डॉक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे।
आयोजन में भारतवर्ष के अलग-अलग राज्यों से परमार पंवार वंश के वरिष्ठ जन और विद्वान जन उपस्थित थे। मंच पर डॉ अरुण कुमार उपाध्याय, भुवनेश्वर, उड़ीसा, नरसिंह परदेसी बघेल, जलगांव महाराष्ट्र, तने सिंह जी सोडा, जैसलमेर, गणपत सिंह जी परमार, गुजरात, ठाकुर जगदेव सिंह जी पवार, कदवाली, डॉक्टर बीरसेन जागासिंह, मॉरीशस, श्री जयदीप सिंह जी, कनाडा, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ऑस्लो, नॉर्वे, डॉक्टर कैलाश चंद्र पांडे, मंदसौर, डॉक्टर सत्येंद्र सिंह जी कदवाली, ठाकुर देवेंद्र सिंह जी पवार, राजा भोज जन कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह जी पंवार, डॉ धर्मेंद्र सिंह जी जोधा भोपाल आदि विद्वत जन ने विचार व्यक्त किए। अतिथि विद्वानों को महाराजा प्रमर अलंकरण से सम्मानित किया गया।
परमार व पवार राजवंश से संबंधित 15 शोध पत्रों का वाचन हुआ। इनमें श्री कैलाश चंद पांडे जी ने मंदसौर ने पवार व परमार वंशावली के साथ हिंगलाजगढ़ की मूर्ति कला पर प्रकाश डाला। श्री तने सिंह जी ने सोडा वंश की वंशावली का उल्लेख किया। डॉक्टर प्रदीप कुमावत आलोक सेवा संस्थान उदयपुर ने विक्रम वंशावली तथा विक्रमादित्य के द्वारा किए गए परोपकारी कार्य के साथ-साथ विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत घोषित करने की इस मंच से मांग उठाई। सवाई दान सिंह जी चारण ने विक्रमादित्य की वंश परंपरा को परमार वंश कालीन बताया। डॉक्टर ध्रुवेन्द्र सिंह जोधा ने परमार कालीन स्थापत्य कला में भूमिज मंदिर शैली पर प्रकाश डाला।
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