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संस्कृति और राष्ट्र को साथ लेकर चलने पर ही राष्ट्र निर्माण होगा - सुश्री श्रुति देशपांडे

उज्जैन।  आज की युवतियां भविष्य की दिशा और दशा दोनों निश्चित करने वाली पीढ़ी है। व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है। हम संस्कृति और राष्ट्र को साथ में लेकर चलेंगे तो ही राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

उक्त उद्गार काशी निवासी विश्व मांगल्य सभा की अखिल भारतीय छात्र सभा की संगठन प्रमुख सुश्री श्रुति देशपांडे ने "राष्ट्र निर्माण में युवतियों की भूमिका" विषय पर विक्रम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि, प्रकृति में एक अनोखा संतुलन होता है जिससे परिवार, समाज और राष्ट्र का विकास होता है। अच्छा नागरिक ही देश में अच्छा डॉक्टर, शिक्षक, इंजीनियर एवं वैज्ञानिक बन सकता है। इस आशय से पहले हमें अच्छे नागरिक बनाने की दिशा में ध्यान देना चाहिए। इस अवसर पर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की संगठन प्रमुख पूजा पाठक ने भी संबोधित किया।

प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्र ने दिया। अतिथियों का स्वागत वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एस के मिश्र, समन्वयक डॉ एस के भारल, डॉ आशीष मेहता, डॉ नेहा माथुर ने किया। कुल-गान श्रुति शर्मा व श्रेया शर्मा द्वारा गाया गया। 

इस अवसर पर विश्वमंगल सभा की पालक संरक्षक सुनीता पाटिल, संगठन प्रमुख अक्षिता त्रिवेदी, श्रीमती सुलभा कांटे, श्रीमती सुनीता पेंढारकर, श्रीमती कीर्ति पटवर्धन, श्रीमती माधुरी सोलंकी, वाणिज्य विभाग से  डॉ परिमिता सिंह, डॉ अनुभा गुप्ता, डॉ कायनात तवर, डॉ टीना यादव, डॉ निधि चौहान,डॉ नेहा वर्मा उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन स्नेहा अंबोदिया ने किया तथा आभार डॉ रुचिका खंडेलवाल ने व्यक्त किया।

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