वेस्ट पेपर मैनेजमेंट पर एक दिवसीय महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन हुआ प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में
विक्रम विश्वविद्यालय में निरंतर जारी हैं पर्यावरण हितैषी नवाचार
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्राणिकी एवं जैव-प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में वेस्ट पेपर मैनेजमेंट पर एक दिवसीय महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विभाग के शिक्षकों द्वारा छात्रों को पहले प्रयोग में लाए जा चुके काग़ज़ का उपयोग कर लिफाफे एवं अन्य उपयोगी सामग्री बनाने की विधि सिखाई गई।
प्रयोग हो चुके कागज को फिर से काम का कागज बनाना एक पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रिया है। देश में रोजाना टनों कागज की खपत होती है और लेखन तथा मुद्रण के लिए उपयोग किए जाने के बाद इसे आमतौर पर बेकार सामग्री के रूप में फेंक दिया जाता है। रिसाइक्लिंग न की जाए तो यह कागज कचरे के बड़े ढेर में बदलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और प्रदूषण जैसी समस्याओं में योगदान देता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्राणिकी एवं जैवप्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विद्यार्थियों को विभाग के शिक्षकों द्वारा वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करते हुए उससे लिफाफे एवं अन्य उपयोगी सामग्री बनानी सिखाई गई। विभाग के शिक्षक डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ शिवि भसीन, डॉ स्मिता सोलंकी एवं डॉ गरिमा शर्मा द्वारा छात्रों को पेपर रिसाइक्लिंग एवं पेपर रियुस का महत्त्व समझते हुए उन्हें आसानी से उपलब्ध सामान का इस्तेमाल कर पहले प्रयोग में लाए गए पेपर से उपयोगी सामग्री जैसे लिफाफे आदि बनाना सिखाया गया।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय के अनुसार कागज की रिसाइक्लिंग रद्दी कागज को नए कागज में बदलकर कई समस्याओं को दूर कर सकती है। पेड़ों को काटने से बचाने के अलावा भी ऐसा करने के कई महत्त्वपूर्ण लाभ हैं। इस प्रकार तैयार होने वाले कागज को लकड़ी के गूदे से बनने वाले नए कागज की तुलना में कम ऊर्जा और पानी की जरूरत होती है। इसलिए छात्रों को पेपर का पुनः उपयोग सिखाना हर तरह से पर्यावरण के हित में है। उन्होंने विभाग के छात्रों एवं शिक्षकों को ऐसी पहल करने के लिए स्वास्तिकामना प्रेषित की।
प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि बेकार कागज को गड्ढों में सड़ते हुए मीथेन पैदा करते से बचाया जा सकता है, अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि विद्यार्थी वेस्ट पेपर मैनेजमेंट के महत्त्व एवं उसकी प्रक्रिया को समझे और पेपर मैनेजमेंट की विधियों को अपनी कार्यप्रणाली में लाये।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि पेपर रिसाइक्लिंग एवं मैनेजमेंट से पेडों की कटाई में कमी आती है, एवं रिसाइक्लिंग से कागज बनाने पर ऊर्जा की कम खपत होती है जिससे वायुमंडल में कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। उन्होंने प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला की इस गतिविधि को सराहनीय बताते हुए विभाग के शिक्षकों एवं छात्रों को बधाई दी।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो प्रशांत पुराणिक ने विभागाध्यक्ष को ऐसी गतिविधियों कि निरंतरता बनाये रखने के लिए प्रेरित किया एवं विभाग की इस गतिविधि पर उन्हें बधाई दी।
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