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कुलपति प्रोफेसर पांडेय ने की माननीय कृषि मंत्री श्री कमल पटेल से मुलाकात


उज्जैन । मध्य प्रदेश के माननीय कृषि मंत्री श्री कमल पटेल से विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने सौजन्य भेंट दिनांक 1 अगस्त 2022 को की। मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड गठन करने वाला देश का तीसरा राज्य है । भेंट के दौरान मंत्री जी ने विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा कृषि संकाय प्रारंभ किए जाने की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कुलपति प्रोफेसर पांडेय से प्रदेश में प्राकृतिक खेती, किसानों की आय में वृद्धि , भूमि संरक्षण तथा किसान कल्याण के विषयों पर विस्तृत चर्चा करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय को प्राकृतिक खेती के लिए जनजागृति अभियान चलाकर किसानों को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन में प्राकृतिक खेती करने वाले किसान का पंजीयन प्रारंभ कर दिया गया है। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिए ₹ 900 प्रतिमाह दिया जाएगा तथा किसान गाय के गोबर तथा मूत्र का उपयोग खाद के रूप में खेती के लिए कर सकेंगे। मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड गठन करने वाला देश का तीसरा राज्य है। बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि क्षेत्र की एक तकनीक है, जिसमें एक प्राकृतिक वातावरण तैयार करके कृषि कार्य किया जाता है। इस तकनीक में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक तथा हाइब्रिड बीज का उपयोग नहीं किया जाता है। हाइब्रिड बीज और रसायनों के उपयोग से फसल सहयोगी जीव, परागण कर्ता , मिट्टी में उपस्थित जीव जंतु, केंचुए पर दुष्प्रभाव पड़ता है तथा प्राकृतिक परिवेश नष्ट हो जाता है। प्रोफेसर पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती से संबंधित प्रोजेक्ट कार्य आवंटित किए जा रहे हैं। विद्यार्थी किसानों से मिलकर प्राकृतिक खेती का प्रोजेक्ट कार्य करते हुए जन जागृति अभियान चलाएंगे। विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी में अध्ययनरत विद्यार्थियों के द्वारा “लैब टू लैंड” योजना में भी हमारे विद्यार्थी किसानों के मध्य प्राकृतिक खेती का प्रचार प्रसार करेंगे। कुलपति प्रोफ़ेसर पांडेय ने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी किसानों का खेती में लागत कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने के बात कह चुके हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राकृतिक खेती के लिए बेहद गंभीर हैं तथा उन्होंने मध्य प्रदेश के किसानों से कम से कम आधा एकड़ में प्राकृतिक खेती प्रारंभ करने की अपील की है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय किसानों की आय में वृद्धि तथा किसान कल्याण के कार्यो हेतु समर्पित है तथा विश्वविद्यालय का कृषि विज्ञान संकाय तथा प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अनेक कार्य में आत्मनिर्भरता हेतु किए जा रहे हैं। प्राणिकी के डॉ अरविंद शुक्ला , डॉ शिवि भसीन व डॉ गरिमा शर्मा ने प्राकृतिक खेती पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिस प्रकार के पौधों का विकास प्राकृतिक रूप से होता है तथा कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती जंगल में पौधों को उचित मात्रा में प्रकाश , हवा ,पानी , मिट्टी में नमी और पोषक तत्व मिलते हैं, जिसके कारण पौधों का प्रतिरक्षा तंत्र अधिक मजबूत होता है तथा हानिकारक पतंग का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता । विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती के लिए दृढ़ संकल्पित है । कृषि विज्ञान संकाय द्वारा यह कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती से किसान भाइयों का खेती में होने वाला खर्च भी कम होगा। प्राकृतिक खेती उत्पन्न होने वाले अनाज, फल व सब्जी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संस्थान की इंजी अंजलि उपाध्याय ने बताया कि प्रकृति द्वारा उत्पादित उत्पादों में पोषक तत्व होते हैं तथा कई प्रकार की संभावित बीमारियों से बचा जा सकता है। यह तकनीक किसान के लिए उपयोगी तथा सस्ती होगी।

इस अवसर पर डॉ संदीप तिवारी एवं डॉ डी डी बेदिया भी उपस्थित थे।

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