भारत के समग्र विकास के लिए आगे आएं शैक्षिक संस्थाएँ – कुलपति प्रो पांडेय
स्वाधीनता के अमृत वर्ष में विक्रम विश्वविद्यालय में उमंग और उल्लास के साथ मनाया गया स्वाधीनता दिवस
उज्जैन। स्वाधीनता के अमृत वर्ष में विक्रम विश्वविद्यालय में स्वाधीनता दिवस उमंग और उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय द्वारा ध्वजारोहण किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में शैक्षणिक संस्थानों को नए दायित्व बोध के साथ राष्ट्र की प्रगति के लिए आगे आने का आह्वान किया। प्रारंभ में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे, कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक कार्यपरिषद सदस्य, श्री सचिन दवे ने सम्राट विक्रमादित्य के मूर्तिशिल्प पर पुष्पांजलि एवं विक्रम तीर्थ सरोवर के जल से अभिषेक किया।
अतिथियों की अगवानी विद्यार्थी कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ. एस के मिश्रा, कुलानुशासक प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, एन.सी.सी. अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ. कानिया मेड़ा आदि ने की। समारोह में विश्वविद्यालय के शिक्षक वृन्द, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, एन.सी.सी. कैडेट, रासेयो स्वयंसेवक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनादि शिक्षा स्थली और महाकाल की पावन धरा पर आप सभी को 75 वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं अभिनंदन। संपूर्ण देश आजादी का अमृत महोत्सव उल्लासपूर्वक मना रहा है, इसकी विशेष बधाई देता हूँ। यह अवसर इस देश के नए सपनों, नए संकल्पों को साकार करने के लिए कुर्बानी देने वाले महान सेनानियों का स्मरण कराता है। अमर वीरों ने आजादी की मशाल को जलाये रखने के लिए अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। ऐसे असंख्य अमर शहीदों को मैं विश्वविद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय में अनेक आयोजन किये जा रहे हैं। सामान्य जनता और किसानों से लेकर आदिवासी समुदाय और रणबाकुंरों ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिये अपना सब कुछ अर्पित किया। अनेक वैज्ञानिकों, संस्कृतियों, साहित्यकारों और पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों ने संगोष्ठियों, प्रतियोगिताओं, नृत्य-संगीत आदि के माध्यम से आजादी के अमृत महोत्सव को उल्लास से मनाया हैं। यह सिलसिला निरन्तर चलता रहेगा। विश्वविद्यालय में नई कार्य संस्कृति की दिशा में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय के सभी अंग मिलकर इस कार्य संस्कृति में अपना पूर्ण सहयोग देकर चहुँमुखी विकास के लिये तत्पर हों। विक्रम विश्वविद्यालय विकास के नए सोपानों पर निरंतर गतिशील है। नैक द्वारा ‘‘ए’’ ग्रेड की उपलब्धि के बाद सम्पूर्ण विकास के साथ हम नैक द्वारा मूल्यांकन के अगले चरण की ओर जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत विधि, कृषि, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, जीव विज्ञान, कला, समाज विज्ञान, इंजीनियरिंग आदि से जुड़े 200 से अधिक यूजी, पीजी, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा पाठ्यक्रम हाल के दो वर्षों में प्रारम्भ किये गये हैं। अध्यापन से लेकर परीक्षा परिणामों तक यह विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में अग्रगण्य बना हुआ है।
वर्तमान सत्र में विभिन्न पाठ्यक्रमों में छात्र बड़ी संख्या में प्रवेश ले रहे हैं। अब तक में लगभग 3000 विद्यार्थियों ने प्रवेश के लिये आवेदन किया है। हमारे पूर्व विद्यार्थी आज देश-दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं। योजना एवं मूल्यांकन बोर्ड के माध्यम से अनेक नवीन केन्द्र एवं पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। विविध ज्ञानानुशासनों से जुड़े इन पाठ्यक्रमों और केन्दों के माध्यम से विद्यार्थियों में व्यवसायोन्मुखी कौशल संवर्धन होगा। विश्वविद्यालय द्वारा मेगा जॉब फेयर, करियर मार्गदर्शन और इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से रोजगार एवं कौशल संवर्द्धन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं परिसर में सुनियोजित ढंग से वृक्षारोपण एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है इसमें जन सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। मियावाकी पद्धति से वनीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये जाएंगे। हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक क्षेत्र के 30 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों के साथ एमओयू किये गये हैं।
विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों के द्वारा पेटेन्ट हासिल किये गये हैं। इसी प्रकार अनेक शिक्षकों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्टीªय स्तर पर सम्मानित किया गया है।
स्वाधीनता पर्व उल्लास मनाने के साथ राष्ट्र और समाज के प्रति सम्पूर्ण निष्ठा और समर्पण का दिन है। भारत के अमर सेनानियों ने जिस स्वराज्य का सपना देखा है, वह सबके लिए, सभी प्रकार से प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने वाला स्वराज्य है। हमारे अमर वीरों ने समाज के हर स्तर पर स्वराज्य को साकार करने का सपना देखा था। हम सबके लिये राष्ट्र सबसे पहले होना चाहिए। आज का यह पर्व इसी भाव को जगाता है। हमें विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व है। स्वाधीनता तभी सार्थक है, जब वह हिन्दुस्तान के हर आदमी को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराए। इस स्वाधीनता दिवस की पुण्य बेला पर आइए हम भारत को उत्तरोत्तर उत्कर्ष पर ले जाने की शपथ लें। पूरी शक्ति के साथ देश, समाज और अपने विश्वविद्यालय को समर्थ करने में जुट जाएँ।
कार्यक्रम का संचालन कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया।
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