
संगोष्ठीआयोजक ने प्रस्तावना मे डॉ. प्रभु चौधरी , महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- संत तुलसीदास त्यागमयी मूर्ति थे। और कहा जो राष्ट्र के लिए काम करते हैं , उनकी रक्षा ईश्वर किसी न किसी रूप में करते हैं।
अध्यक्षीय भाषण में कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, श्रीमती सुवर्णा जाधव, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि- आँख मूंदकर चलना भक्ति नहीं है । तुलसीदास के दोहे आज भी प्रासंगिक हैं।

डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद , मुख्य महासचिव महिला इकाई ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संगीता पाल, गुजरात द्वारा सरस्वती वंदना से हुई । स्वागत भाषण और आभार व्यक्त डॉ. प्रभु चौधरी , महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने किया। कार्यक्रम में श्रीमती रश्मि लहर , लखनऊ , डॉ.रश्मि वाष्नेय , डॉ. आशा सिंह सिकरवार, श्रीमती स्वाति शर्मा, गाजियाबादआदि ने भी विचार व्यक्त किए। श्री सोनू जी आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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