विक्रम विश्वविद्यालय में हुई कथा सम्राट प्रेमचंद जी के योगदान पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
उज्जैन । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला, पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला तथा गांधी अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद जयंती प्रसंग पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी मुंशी प्रेमचंद का कथा साहित्य और वर्तमान विश्व पर केंद्रित थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे थे। कार्यक्रम में कला संकायाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा, मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईजोल के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ अखिलेश शर्मा, साहित्यकार श्री संतोष सुपेकर एवं डॉ मोहन बैरागी ने अपने व्याख्यान एवं काव्य पाठ से कार्यक्रम को गरिमा दी। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका अक्षर वार्ता के विशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
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श्री संतोष सुपेकर ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद पीड़ित मानवता के कुशल चितेरे हैं। श्री सुपेकर ने अपनी लघु कथाओं का पाठ किया।
डॉ मोहन बैरागी ने कहा कि प्रेमचंद ने यथार्थ को बड़ी कुशलता से चित्रित किया है। बैरागी ने अपनी कविताएं सुनाईं।
कार्यक्रम में अध्ययनशाला के शोधकर्ताओं ने प्रेमचंद की अचर्चित कहानियों का सारांश प्रस्तुत करते हुए उनका विश्लेषण किया, इनमें श्री मोहन तोमर ने प्रेमचंद की कहानी जिहाद, जगदीश कुमार ने राजहठ, मोना सोनी ने शांति, अनुराग वर्मा ने नेऊर एवं श्यामलाल चौधरी ने समस्या कहानी का सार प्रस्तुत किया।
आयोजन में बड़ी संख्या में साहित्यकार शोधकर्ता एवं विद्यार्थी जुड़े थे। सरस्वती वंदना मोना सोनी ने की।
कार्यक्रम का संचालन श्री दिनेश कुमार ने किया। आभार प्रदर्शन श्री मोहन सिंह तोमर ने किया।
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