Skip to main content

विश्वविद्यालय के गौरव को नए सिरे से स्थापित किया प्रो मिश्र ने – कुलपति प्रो पांडेय

आचार्यप्रवर पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र का सौप्रस्थानिक सारस्वत सम्मान सम्पन्न

उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला, पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला तथा गांधी अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रख्यात शिक्षाविद् आचार्यप्रवर, पूर्व कुलपति प्रो रामराजेश मिश्र के सौप्रस्थानिक सारस्वत सम्मान प्रसंग का आयोजन किया गया। आयोजन की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक, स्वराज भवन संचालनालय, भोपाल के पूर्व संचालक श्रीराम तिवारी, पूर्व कार्यपरिषद् सदस्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जेसीज श्री रमेश साबू और कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक थे। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, प्रो गीता नायक, पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ राकेश ढंड, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ पिलकेन्द्र अरोरा, डॉ प्रतिष्ठा शर्मा आदि ने प्रो मिश्र द्वारा किए गए अविस्मरणीय कार्यों और योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा पूर्व कुलपति प्रो मिश्र को सारस्वत सम्मान पत्र, शॉल, श्रीफल, मौक्तिक माल, साहित्य एवं चित्र शृंखला अर्पित कर उनका अभिनन्दन किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि प्रो मिश्र ने विश्वविद्यालय परिसर के बहुमुखी विकास में अविस्मरणीय योगदान दिया। उन्होंने इस विश्वविद्यालय के गौरव को नए सिरे से स्थापित किया। विश्वविद्यालय में अनेक शिक्षकीय और गैर शिक्षकीय पदों पर नियुक्ति की। सभी लोग उनकी संकल्पना और अकादमिक धरोहर को आगे ले जाने के लिए आगे आएँ।

पूर्व कुलपति रामराजेश मिश्र ने कहा कि बड़े संकल्पों और प्रयत्नों से किसी क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। युवा जीवन में सदैव जीतने के लिए आश्वस्त रहें, यह जरूरी है। व्यक्ति का वंश स्वयं व्यक्ति हो जाए, तभी जीवन की सार्थकता है। हमें अपनी विरासत को संभालने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। विक्रम विश्वविद्यालय की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सभी संकल्पबद्ध हों।

विशिष्ट अतिथि श्री रमेश साबू ने कहा कि पूर्व कुलपति प्रो मिश्र में ऐसे अनेक गुण हैं, जिन्हें युवाओं को सीखना चाहिए। वे अपनी और दूसरों की प्रतिभाओं को पहचानते हैं आज वहां से शुरुआत करो जहां कल समाप्त हुआ था। प्रो मिश्र ने विपरीत परिस्थितियों के बीच से विश्वविद्यालय को उबारा। व्यक्ति को हर परिस्थिति में जीना आना चाहिए। अपने जीवन से जुड़े हर विषय पर अपनी सोच होना चाहिए। हर चीज को भुला कर ही नई शुरुआत संभव है।

महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के संचालक श्रीराम तिवारी ने कहा कि प्रो मिश्र की दृष्टि अत्यंत व्यापक रही है। वे अपने लक्ष्यों की ओर सदैव तत्पर रहे। रचनात्मकता से ही परिवर्तन सम्भव है, जो प्रो मिश्र ने सम्भव कर दिखाया।

विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि प्रो मिश्र का दृष्टिकोण नवाचारी रहा है। शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरण संवर्धन के लिए वे विगत अनेक दशकों से निरंतर सन्नद्ध रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के अधोसंरचना विकास, अकादमिक प्रगति, परिसर सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति कर्म आदि अनेक क्षेत्रों में अविस्मरणीय कार्य किए।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ऊर्मि शर्मा, श्रीराम दवे, श्री शरद शर्मा, डॉ पिलकेंद्र अरोरा, प्रो प्रेमलता चुटैल, प्रो अचला शर्मा, डॉक्टर डी डी बेदिया, डॉ धर्मेंद्र मेहता, डॉक्टर संदीप तिवारी, डॉ कानिया मेड़ा, डॉ विश्वजीत सिंह परमार, डॉ सुशील शर्मा, डॉ अजय शर्मा, श्री अमिताभ त्रिपाठी, डॉ सर्वेश्वर शर्मा, डॉ महेंद्र पंड्या, डॉक्टर गोपाल कृष्ण शुक्ल, डॉ मोहन बैरागी, डॉ राजेश रावल सुशील, श्रीमती श्वेतिमा निगम, रुचिर प्रकाश निगम, जनकजा शरण, मिथिला आदि ने प्रो मिश्र का सम्मान किया।

प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ राजेश रावल सुशील ने की। वैदिक मंगलाचरण पंडित महेंद्र पंड्या, डॉक्टर सर्वेश्वर शर्मा, डॉक्टर गोपाल कृष्ण शुक्ला ने किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन महाविद्यालय विकास परिषद के डीन प्रोफेसर डीएम कुमावत ने किया।

Comments

मध्यप्रदेश समाचार

देश समाचार

Popular posts from this blog

आधे अधूरे - मोहन राकेश : पाठ और समीक्षाएँ | मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे : मध्यवर्गीय जीवन के बीच स्त्री पुरुष सम्बन्धों का रूपायन

  आधे अधूरे - मोहन राकेश : पीडीएफ और समीक्षाएँ |  Adhe Adhure - Mohan Rakesh : pdf & Reviews मोहन राकेश और उनका आधे अधूरे - प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और कथाकार मोहन राकेश का जन्म  8 जनवरी 1925 को अमृतसर, पंजाब में  हुआ। उन्होंने  पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए उपाधि अर्जित की थी। उनकी नाट्य त्रयी -  आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस और आधे-अधूरे भारतीय नाट्य साहित्य की उपलब्धि के रूप में मान्य हैं।   उनके उपन्यास और  कहानियों में एक निरंतर विकास मिलता है, जिससे वे आधुनिक मनुष्य की नियति के निकट से निकटतर आते गए हैं।  उनकी खूबी यह थी कि वे कथा-शिल्प के महारथी थे और उनकी भाषा में गज़ब का सधाव ही नहीं, एक शास्त्रीय अनुशासन भी है। कहानी से लेकर उपन्यास तक उनकी कथा-भूमि शहरी मध्य वर्ग है। कुछ कहानियों में भारत-विभाजन की पीड़ा बहुत सशक्त रूप में अभिव्यक्त हुई है।  मोहन राकेश की कहानियां नई कहानी को एक अपूर्व देन के रूप में स्वीकार की जाती हैं। उनकी कहानियों में आधुनिक जीवन का कोई-न-कोई विशिष्

तृतीय पुण्य स्मरण... सादर प्रणाम ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1003309866744766&id=395226780886414 Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bekhabaron Ki Khabar - बेख़बरों की खबर Bkk News Bekhabaron Ki Khabar, magazine in Hindi by Radheshyam Chourasiya / Bekhabaron Ki Khabar: Read on mobile & tablets -  http://www.readwhere.com/publication/6480/Bekhabaron-ki-khabar

खाटू नरेश श्री श्याम बाबा की पूरी कहानी | Khatu Shyam ji | Jai Shree Shyam | Veer Barbarik Katha |

संक्षेप में श्री मोरवीनंदन श्री श्याम देव कथा ( स्कंद्पुराणोक्त - श्री वेद व्यास जी द्वारा विरचित) !! !! जय जय मोरवीनंदन, जय श्री श्याम !! !! !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !! 'श्री मोरवीनंदन खाटू श्याम चरित्र'' एवं हम सभी श्याम प्रेमियों ' का कर्तव्य है कि श्री श्याम प्रभु खाटूवाले की सुकीर्ति एवं यश का गायन भावों के माध्यम से सभी श्री श्याम प्रेमियों के लिए करते रहे, एवं श्री मोरवीनंदन बाबा श्याम की वह शास्त्र सम्मत दिव्यकथा एवं चरित्र सभी श्री श्याम प्रेमियों तक पहुंचे, जिसे स्वयं श्री वेद व्यास जी ने स्कन्द पुराण के "माहेश्वर खंड के अंतर्गत द्वितीय उपखंड 'कौमारिक खंड'" में सुविस्तार पूर्वक बहुत ही आलौकिक ढंग से वर्णन किया है... वैसे तो, आज के इस युग में श्री मोरवीनन्दन श्यामधणी श्री खाटूवाले श्याम बाबा का नाम कौन नहीं जानता होगा... आज केवल भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व के भारतीय परिवार ने श्री श्याम जी के चमत्कारों को अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से देख लिया हैं.... आज पुरे भारत के सभी शहरों एवं गावों में श्री श्याम जी से सम्बंधित संस्थाओं